फंसे हुए खुदरा कर्ज की रिकवरी को गति देने के लिए निजी क्षेत्र के कर्जदाता आईडीबीआई बैंक ने एकमुश्त समाधान (OTS) की विशेष योजना पेश की है। इस योजना का लाभ कर्ज लेने वाले ऐेसे लोगों को मिल सकेगा, जिनका 10 लाख रुपये से 10 करोड़ रुपये तक मूलधन बकाया है।
‘सुगम ऋण भुगतान योजना’ का मकसद खुदरा कर्ज लेने वालों को राहत प्रदान करना है, जिनका ऋण 31 मार्च 2021 तक गैर निष्पादित संपत्ति (एनपीए) में बदला और 31 अगस्त, 2024 तक एनपीए बना रहा। दबाव में चल रहे उधारी लेने वालों को एक मौका होगा कि वे कानूनी पचड़ों से बचकर एकमुश्त समाधान कर सकें।
आईडीबीआई बैंक के एक अधिकारी के मुताबिक इस तरह के पात्र खातों का सकल मूलधन बकाया करीब 2,300 करोड़ रुपये है और उधारी लेने वालों की संख्या 4,800 से ज्यादा है। इस पोर्टफोलियो में खाते का एनपीए और बट्टे में डाले गए खाते शामिल हैं। उन्होंने कहा कि यह योजना लंबित मामलों को हल करने की कवायद है।
वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में आईडीबीआई बैंक का सकल एनपीए 3.87 प्रतिशत रहा, जो क्रमिक आधार पर 66 आधार अंक कम है, जबकि इसका शुद्ध एनपीए0.23 प्रतिशत है, जो क्रमिक आधार पर 11 आधार अंक कम है।
योजना की शर्तों के मुताबिक मुंबई का निजी कर्जदाता सभी पात्र खातों के लिए ब्याज और व्यय में छूट की पेशकश कर रहा है, सिवाय गारंटी वाले आपातकालीन क्रेडिट लाइन के, जहां संपूर्ण बकाया राशि का भुगतान करना होता है।