एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस कंपनी, एचडीएफसी स्टैंडर्ड लाइफ इंश्योरेंस, एचडीएफसी अर्गो जनरल इंश्योरेंस और आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस के जल्द ही अपने कस्टोडियन बैंक बदलने की संभावना है।
बीमा नियामक विकास प्राधिकरण (इरडा) 25 मार्च की बोर्ड बैठक में बीमा कंपनियों के लिए निवेश नियमों में बदलाव को अंतिम रूप दिया जाएगा। इस बैठक में यह प्रस्ताव पेश किए जाने की संभावना है कि बीमाकर्ताओं की परिसंपत्तियों का प्रबंधन करने वाले कस्टोडियन बैंक को प्रमोटर ग्रुप का हिस्सा नहीं होना चाहिए।
हालांकि कुछ बीमा विशेषज्ञों का कहना है कि नियमों में संशोधन का मुख्य मकसद वित्तीय संस्थानों के बीच हितों को लेकर होने वाले संभावित टकराव को टालना है। मगर दूसरे लोगों का यह कहना है कि असली वजह भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) और इरडा के बीच नियमों का दोहराव टालना है। सेबी के नियमों के तहत म्युचुअल फंड हॉउसेज ऐसी किसी भी संस्था को अपना कस्टोडियन नहीं बना सकते जो उनके प्रमोटर बैंक का हिस्सा है। इस पहल का मकसद यह पक्का करना है कि बीमा कंपनियों के यूलिपों पर भी उसी तरह के नियम लागू हों जैसे म्युचुअल फंडों पर लागू हैं।
हालांकि, ज्यादातर बीमा कंपनियों के कस्टोडियन उनके प्रमोटर बैंक नहीं बल्कि अन्य वित्तीय संस्थान हैं। मगर एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस कंपनी, एचडीएफसी स्टैंडर्ड लाइफ इंश्योरेंस, एचडीएफसी अर्गो जनरल इंश्योरेंस और आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस के प्रमोटर उनके अपने बैंक हैं। एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस कंपनी के मुख्यत: तीन कस्टोडियन हैं- भारतीय स्टेट बैंक, एसबीआई डीएफएचआई और स्टॉक होल्डिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया।
एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस के एक अधिकारी ने बताया, ‘कस्टोडियन बैंकों के नियम-कानूनों में बदलाव के बाद इरडा हमें दो से तीन महीने की मोहलत देगा। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस का कस्टोडियन डयूश बैंक है जबकि आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल का कस्टोडियन खुद आईसीआईसीआई बैंक ही है। चूंकि आईसीआईसीआई लोंबार्ड की कुल परिसंपत्तियां 2,500 करोड़ रुपये हैं, इसलिए आईसीआईसीआई बैंक का राजस्व घाटा नाममात्र का है। भारत में बैंक वित्तीय संस्थानों के लिए कस्टोडियन का काम करते हैं। दरअसल, एक कस्टोडियन सभी तरह की प्रतिभूतियों और फंड से जुड़े अन्य प्रपत्रों को अपनी हिफाजत में रखता है।
इसके अलावा, बैंकिंग लेन-देन का प्रबंधन, खातों का निपटान, नीति में बदलाव के बारे में बीमा कंपनियों को सूचित करने और साथ ही बाजार की मौजूदा स्थिति की जानकारी मुहैया कराना भी कस्टोडियन का काम होता है। कुछ कस्टोडियन निश्चित फीस पर कमाई करते हैं तो कुछ अन्य सौदे मूल्य के तहत कमाई करते हैं।कस्टोडियन की भूमिका
• यह सभी प्रतिभूतियों और फंडों से जुड़े अन्य प्रपत्रों को अपनी कस्टडी में रखता है।
• यह बैंकिंग लेन-देन का प्रबंधन, खातों का निपटान, नीतिगत मामलों में होने वाले बदलावों के बारे में बीमा कंपनियों को सूचित करने और बाजार की मौजूदा स्थिति की जानकारी मुहैया कराता है।
इनकी फीस
• कुछ कस्टोडियन नियत फीस लेते हैं तो कुछ लेन-देन राशि पर 0.1 फीसदी चार्ज करते हैं।
• कई मामलों में कस्टोडियन बैंक अपने प्रबंधनाधीन कुल परिसंपत्तियों पर 0.5 से 1.5 फीसदी की फीस वसूलते हैं।
दिशा-निर्देश
सेबी म्युचुअल फंड हॉउसेज को उन संस्थानों को कस्टोडियन बनाने की अनुमति नहीं देता जो उसके प्रमोटर बैंक का हिस्सा हैं।
