भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने हाल के वर्षों में अपने द्वारा विनियमित बैंकों की निगरानी के दौरान उनमें तीन कमजोरियां पाई हैं।
रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एम के जैन ने एक हालिया भाषण में कहा कि बैंकों की ये कमजोरी अनुपालन, जोखिम प्रबंधन और आंतरिक लेखा परीक्षण है।
जैन ने 10 मार्च को उन्नत वित्तीय अनुसंधान और अध्ययन केंद्र (सीएएफआरएएल) में भाषण दिया था जिसे आज रिजर्व बैंक की वेबसाइट पर अपलोड किया गया।
इसमें जैन ने कहा, ‘गैर-अनुपालन का पता लगा पाने और उसको रिपोर्ट करने में विफलता/विलंब, लगातार निम्र स्तरीय अनुपालन, अपर्याप्त कवरेज के संदर्भ में अनुपालन परीक्षण और सीमित लेनदेन परीक्षण की अक्षमता, समस्या की जड़ का समाधान नहीं करने से लगातार अनियमितताएं और अनुपालन की निरंतरता को सुनिश्चित नहीं किया जाना जैसी समस्याएं देखी गई हैं।’
उन्होंने यह भी कहा कि कई मामलों में अनुपालन ढांचे को जरूरी कर्मचारियों की संख्या और गुणवत्ता के हिसाब से उचित प्रकार से स्थापित नहीं किया गया था।
जैन ने कहा कि रिजर्व बैंक के अवलोकन में पाया गया कि बोर्ड द्वारा मंजूर किए गए जोखिम लेने अथवा उसे नजरअंदाज करने के तंत्र और वास्तविक रणनीति तथा निर्णय करने के बीच विरोधाभास है।
