भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि केंद्रीय बैंकों को कोविड-19 महामारी जैसे कठिन दौर में मजबूत संचार नीतियां विकसित किए जाने की जरूरत है, जिससे महामारी के असर की निगरानी के लिए वैकल्पिक संकेतकों और आंकड़ों पर ध्यान केंद्रित किया जा सके। रिजर्व बैंक के सांख्यिकी दिवस सम्मेलन के अवसर पर बोलते हुए दास ने कहा, ‘केंद्रीय बैंक अपनी ओर से नीतिगत कार्रवाइयों के साथ-साथ अपने कार्यों के परिणामों का आकलन करने के लिए सांख्यिकी के उत्पादक और उपयोगकर्ता दोनों हैं। उन्हें अपनी नीतियों में मजबूत संचार की व्यवस्था करने की जरूरत है, जिससे कठिन दौर में समन्वित कार्रवाई हो सके। इस तरह से केंद्रीय बैंकों को भी इन सभी चुनौतियों में एकजुट होने और वैकल्पिक संकेतकों व आंकड़ों के स्रोतों पर ध्यान केंद्रित कर महामारी और इसके विभिन्न पहलुओं पर प्रभावी तरीके से निगरानी करने की जरूरत है।’
उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक ने अपने सांख्यिकीय प्राप्तियों पर महामारी के दौरान फिर से ध्यान दिया, जिससे उसके मिशन की निरंतरता जारी रह सके।
संयुक्त राष्ट्र और विश्व बैंक द्वारा कराए गए सर्वे का हवाला देते हुए दास ने कहा कि 95 प्रतिशत से ज्यादा राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालयों ने मई 2020 में आंशिक रूप से या पूरी तरह से फेस टु फेस आंकड़ों का संग्रह बंद कर दिया था। अप्रैल और मई 2020 मोबिलिटी के हिसाब से सबसे प्रभावित महीना था, क्योंकि देश में मार्च 2020 के आखिर में लॉकडाउन लगा दिया गया था, जिससे कि महामारी पर काबू पाया जा सके।
दास ने कहा, ‘सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के लिए मई और जून 2020 के अध्यारोपित आंकड़े पेश करने पड़े।’ कोविड-19 के व्यवधान के बाद सांख्यिकीय नवोन्मेष के लाभों उल्लेख करते हुए दास ने कहा कि इससे सांख्यिकी एजेंसियों के सामने भरोसा हासिल करने को लेकर नई चुनौतियां आई हैं।