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बैंकों ने रिजर्व बैंक में डाले 17,203 करोड़ रुपये, महंगाई घटाने के लिए RBI बाजार से कम कर रहा नकदी

महंगाई पर काबू पाने के लिए रिजर्व बैंक बाजार से नकदी कम कर रहा है। इसकी वजह से बैंकिंग व्यवस्था में नकदी इस वित्त वर्ष में पहली बार पिछले सप्ताह घाटे में चली गई

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अंजलि कुमारी   
Last Updated- August 28, 2023 | 10:16 PM IST

सरकार का व्यय बढ़ने के कारण बैंकिंग व्यवस्था में नकदी की स्थिति धीरे धीरे सुधर रही है। बाजार हिस्सेदारों को उम्मीद है कि चालू सप्ताह के अंत तक नकदी की स्थिति में आगे और सुधार होगा।

रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक बैंकों ने रविवार को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) में 17,203 करोड़ रुपये डाले हैं। एक सरकारी बैंक के डीलर ने कहा, ‘हमें बाजार से जुड़े अन्य सूत्रों से जानकारी मिल रही है कि आज से (सोमवार) सरकार का व्यय बढ़ेगा और इस सप्ताह नकदी की स्थिति में सुधार होगा।’

तीन दिन तक घाटे की स्थिति के बाद गुरुवार को बैंकिंग व्यवस्था में नकदी अधिशेष की स्थिति में आ गई थी। चालू वित्त वर्ष में पहली बार पिछले सोमवार को नकदी घाटे की स्थिति में चली गई थी।

महंगाई पर काबू पाने के लिए रिजर्व बैंक बाजार से नकदी कम कर रहा है। इसकी वजह से बैंकिंग व्यवस्था में नकदी इस वित्त वर्ष में पहली बार पिछले सप्ताह घाटे में चली गई। रिजर्व बैंक द्वारा बैंकों का अतिरिक्त धन अपने पास रखने के कारण ऐसा हुआ है। साथ ही सरकार के पास कर जमा होने की वजह से भी बाजार में नकदी घटी है।

बाजार हिस्सेदारों का अनुमान है कि रुपये को गिरने से बचाने के लिए रिजर्व बैंक द्वारा डॉलर की बिक्री कर विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप करने से भी नकदी पर दबाव बढ़ेगा।

सोमवार को रुपया 3 पैसे मजबूत होकर डॉलर के मुकाबले 82.63 पर बंद हुआ। डीलरों के मुताबिक घरेलू इक्विटी में विदेशी प्रवाह से इसे समर्थन मिला। शुरुआती कारोबार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 82.53 के उच्च स्तर पर पहुंच गया था।

एक और सरकारी बैंक के डीलर ने कहा कि प्रवाह है और रुपये की मांग बनी हुई है। उन्होंने कहा कि लेकिन यह भी सुनने में आ रहा है कि केंद्रीय बैंक की उपस्थिति रही है, जिसकी वजह से रुपया 82.53 के स्तर से गिरकर बंदी के स्तर पर पहुंच गया।

अमेरिकी फेडरल रिजर्व के चेयर जेरोम पॉवेल का वक्तव्य शुक्रवार को आया, जो भविष्य की दरों को लेकर कोई स्पष्ट संदेश नहीं दे सका। बाजार के हिस्सेदारों को पॉवेल की टिप्पणी भ्रामक लगी। इसी के मुताबिक ट्रेडरों ने घरेलू सरकरी बॉन्ड बाजार में अपनी खरीद बहाल रखी है।

First Published : August 28, 2023 | 10:16 PM IST