पियर-टु-पियर (पी2पी) ऋण देने वाले प्लेटफॉर्मों को लेकर उपयोगकर्ताओं की रुचि तेजी से बढ़ रही है, जबकि अगस्त में इस तरह की कंपनियों के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से संशोधित दिशानिर्देश आने के बाद इस कारोबार में व्यापक व्यवधान का डर था।
एनबीएफसी-पी2पी ऋण प्लेटफॉर्म पी2पी ऋण में हिस्सेदारों को ऑनलाइन मार्केटप्लेस की सुविधा मुहैया कराते हैं। इसमें व्यक्तिगत ऋणदाता और उधारी लेने वाले शामिल होते हैं। व्यक्तिगत ऋणदाता, कर्ज देने के पहले कर्ज लेने वाले का विस्तृत ब्योरा जान सकते हैं।
कंपनियों ने कहा कि 14 नवंबर की समयसीमा के पहले टी प्लस 1 दिशानिर्देशों को लेकर प्रायोगिक परियोजना चला रही हैं, या उनके क्रियान्वयन का काम पूरा कर चुकी हैं। इसके तहत कंपनियों को एक दिन के भीतर एस्क्रो खाते में जमा धनराशि क्लियर करना अनिवार्य है।
एक पी2पी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) लेनदेन क्लब के सह संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) भाविन पटेल ने कहा, ‘जुलाई की तुलना में हम करीब 60 से 70 प्रतिशत कारोबार की मात्रा पर वापस आ गए हैं। हमारा मानना है कि अगले एक या दो महीनों में हम दिशानिर्देशों के पहले के कारोबार के स्तर पर पहुंच जाएंगे।’
उन्होंने कहा कि अगस्त और अक्टूबर के बीच मैनुअल उधारी संबंधी लेनदेन में ऋणदाताओं की हिस्सेदारी 3 से 4 गुना बढ़ी है।
अगस्त में रिजर्व बैंक ने पी2पी उधारी प्लेटफॉर्मों के दिए दिशानिर्देश कड़े कर दिए थे, क्योंकि कुछ इकाइयां नियामक निर्देशों का उल्लंघन कर रही थीं।
रिजर्व बैंक ने कहा था कि कुछ पी2पी ऋण प्लेटफॉर्म निवेश के प्रोडक्ट के रूप में पी2पी ऋण को प्रोत्साहित कर रहे थे, जिसमें लिक्विडिटी ऑप्शन की पेशकश की जा रही थी और उनका कामकाज सिर्फ मध्यस्थों की तरह कामकाज करने वालों की जगह जमा लेने वाले और कर्जदाता की तरह हो गया है। कारोबार का परिचालन जारी रखने के बजाय कंपनियां सावधानी से काम कर रही हैं।
पी2पी-एनबीएफसी इंडियापी2पी की सीईओ नेहा जुनेजा ने कहा, ‘पी2पी में दिलचस्पी है। लेकिन यह अभी शुरुआती चरण में है। यह संभावना है कि यूजर्स अभी नए प्रारूप को पूरी तरह न समझ पाए हों।’
जुनेजा ने कहा कि कंपनियों को दो महीने इंतजार करना पड़ सकता है कि लोग संशोधित दिशानिर्देशों के मुताबिक बने नए प्रारूप को कितनी अच्छी तरह समझ पाते हैं।
उन्होंने कहा, ‘मौजूदा ऋणदाताओं और नए ऋणदाताओं दोनों की ओर से पूंजी आ रही है। यह चिंता दूर हो गई है। परिचालन के हिसाब से देखना है कि टी प्लस वन किस तरह लागत के अनुकूल हो और इसका परीक्षण अभी बाकी है।’