लोक सभा चुनाव के छठे चरण का मतदान शनिवार को होगा। आज चुनाव वाले सात राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के संसदीय क्षेत्रों में से आधे से अधिक साल 2030 तक हासिल किए जाने वाले 33 सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) में से 16 के लक्ष्य से पीछे हैं।
कॉल फॉर ऐक्शन अध्ययन के आंकड़ों के मुताबिक, आधे से ज्यादा संसदीय क्षेत्र स्वास्थ्य बीमा, एनीमिया, बाल विवाह और रसोई गैस से जुड़े 33 सतत विकास लक्ष्यों में से 16 में लक्ष्य से पीछे चल रहे है। इस अध्ययन का बिज़नेस स्टैंडर्ड ने विश्लेषण किया है। एसवी सुब्रमण्यन, अमर पटनायक और रॉकली लिम द्वारा लिखित इस रिपोर्ट को अकादमिक पत्रिका लैंसेट के फरवरी 2024 अंक में प्रकाशित किया गया है।
महिलाओं का स्वास्थ्य बीमा एक प्रमुख चुनौती है और सभी निर्वाचन क्षेत्र इस लक्ष्य को पूरा करने में विफल रहे हैं। पुरुषों के स्वास्थ्य बीमा के मामले में 96.5 फीसदी निर्वाचन क्षेत्र लक्ष्य से पीछे चल रहे हैं। ऐसी ही हिस्सेदारी महिलाओं के मोबाइल फोन रखने के मामले में है।
लक्ष्य से पीछे चलने वाले वे क्षेत्र हैं जो साल 2021 तक लक्ष्य पूरा नहीं कर पाए और 2016 से 2021 के बीच सीमित अथवा खराब बदलावों के कारण साल 2030 तक भी उन्हें हासिल नहीं किया जा सकेगा।
इसके विपरीत, लक्ष्य की ओर बढ़ने वाले वैसे निर्वाचन क्षेत्र हैं जिन्होंने लक्ष्य भले अभी पूरा नहीं किया है मगर साल 2016 से 2021 के बीच सकारात्मक बदलावों के कारण वे 2030 तक लक्ष्य पूरा कर लेंगे। अध्ययन के मुताबिक, राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2019-21 (एनएफएचएस-5) के विश्लेषण के आधार पर उत्तर प्रदेश के लालगंज (अनुसूचित जाति) में स्वास्थ्य बीमा में महिलाओं का अनुपात सबसे कम महज 1.8 फीसदी है।
प्रदेश के एक अन्य निर्वाचन क्षेत्र मछलीशहर (अनुसूचित जाति) में स्वास्थ्य बीमा वाले पुरुषों का अनुपात सबसे कम है। एनएफएचएस-5 में यह 4.2 फीसदी था जबकि उससे पहले वाले चरण में सिर्फ 2 फीसदी था।
पश्चिम बंगाल के बांकुड़ा में मोबाइल फोन रखने वाली महिलाओं की हिस्सेदारी सबसे कम 28.2 फीसदी है। सात संकेतकों के मामले में 25 फीसदी से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों ने साल 2021 तक लक्ष्य हासिल कर लिया है।
उनमें से दो, 10 से 14 वर्ष की किशोरियों के गर्भधारण पर अंकुश और महिलाओं के तंबाकू सेवन पर अंकुश के मामले में क्रमशः 89.5 फीसदी और 73.7 फीसदी ने लक्ष्य हासिल किया और साल 2030 तक इसे बरकरार रख सकेंगे। स्वच्छ पानी एक और संकेतक है जिसे 38.6 फीसदी ने हासिल कर लिया है। एनएफएचएस-5 के मुताबिक दिल्ली के चांदनी चौक में किशोरी गर्भधारण की दर सबसे कम 0.03 फीसदी है।