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Year Ender 2023: भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के 2024 में गति पकड़ने की संभावना है। बेहतर व्यापक आर्थिक आंकड़े और औद्योगिक उत्पादन में तेजी के साथ आकर्षक PLI योजना के कारण अधिक संख्या में विदेशी कंपनियां भारत की ओर आकर्षित होंगी। भू-राजनीतिक बाधाओं और वैश्विक स्तर पर ब्याज दरों में सख्ती के बीच भारत पसंदीदा निवेश गंतव्य बना हुआ है।
उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) के सचिव राजेश कुमार सिंह ने कहा कि सरकार लगातार FDI नीति की समीक्षा करती है और हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श के बाद समय-समय पर इसमें बदलाव किया जाता है। इस साल जनवरी-सितंबर के दौरान देश में FDI फ्लो 22 प्रतिशत घटकर 48.98 अरब डॉलर रह गया। एक साल पहले इसी अवधि में यह आंकड़ा 62.66 अरब अमेरिकी डॉलर था।
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सिंह ने कहा कि 2014-23 की अवधि में FDI आवक लगभग 596 अरब डॉलर रही है, जो 2005-14 के दौरान भारत को मिले FDI से लगभग दोगुना है। उन्होंने कहा, ”FDI के ये रुझान सकारात्मक हैं और भारत अभी भी विदेशी कंपनियों के लिए पसंदीदा स्थान बना हुआ है।”
सिंह ने कहा कि औषधि, खाद्य प्रसंस्करण और चिकित्सा उपकरणों जैसे क्षेत्रों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजनाओं ने नतीजे देने शुरू कर दिए हैं और इनमें से कई क्षेत्रों में FDI बढ़ा है। उन्होंने कहा कि इस साल FDI में गिरावट की एक वजह सिंगापुर, अमेरिका और ब्रिटेन की वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर में तेजी हो सकती है, क्योंकि ये देश भारत में FDI के प्रमुख स्रोत हैं।
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सलाहकार फर्म डेलॉयट इंडिया की अर्थशास्त्री रुमकी मजूमदार ने कहा कि पूंजी प्रवाह में मंदी की वजह वैश्विक नकदी में सख्ती और भू-राजनीतिक अनिश्चितताएं हैं। उन्होंने कहा, ”हालांकि दुनिया जल्द ही भारत के बुनियादी सिद्धांतों की ताकत को पहचान लेगी और पूंजी प्रवाह बढ़ेगा।”
कानूनी सलाहकार फर्म इंडसलॉ के साझेदार अनिंद्य घोष ने कहा कि भारत इस तथ्य से कुछ राहत महसूस कर सकता है कि वह हाल की आर्थिक मंदी की मार झेलने वाला अकेला देश नहीं है। उन्होंने कहा, ”हाल में भारत में FDI में आई गिरावट को लेकर काफी चिंताएं हैं, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि अगले साल FDI प्रवाह में मामूली वृद्धि हो सकती है।”