लगातार छठे माह थोक महंगाई दर दो अंकों में बरकरार

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 12:15 AM IST

थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित महंगाई दर सितंबर महीने में घटकर 6 महीने के निचले स्तर 10.66 प्रतिशत पर आ गई है। इसके पहले महीने में यह 11.39 प्रतिशत थी।  हालांकि यह चालू वित्त वर्ष के शुरुआती 6 महीने में लगातार दो अंकों में बनी हुई है। लगातार दूसरे महीने खाद्य वस्तुओं की कीमतों में गिरावट के कारण यह कमी आई है।
बहरहाल कुछ धातुएं महंगी हुई हैं, जबकि ईंधन की कीमतों में थोड़ा सुधार हुआ है। विशेषज्ञों का कहना है कि महंगाई दर चालू वित्त वर्ष में औसतन दो अंकों में रह सकती है, लेकिन उन्हें उम्मीद नहीं है कि भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) नीतिगत दरों में बढ़ोतरी करेगी, जब तक मांग की वजह से कीमतें नहीं बढ़तीं। बहरहाल एमपीसी सामान्यतया खुदरा महंगा दर के आधार पर बदलाव करती है।
डब्ल्यूपीआई महंगाई दर में मामूली कमी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) दरों के अनुरूप ही है, जो सितंबर में 5 माह के निचले स्तर 4.35 प्रतिशत पर पहुंच गई है,जो इसके पहले महीने में 5.59 प्रतिशत पर थी।
खाद्य वस्तुओं के दाम में लगातार गिरावट हुई है और इस अवधि के दौरान कीमतों में 4.69 प्रतिशत की गिरावट हुई है। कीमतों में गिरावट मुख्य रूप से सब्जियों के दाम के कारण हो रही है, जिसके दाम लगातार 10वें माह घटे हैं। सब्जियों में आलू के दाम में 48,95 प्रतिशत की कमी आई है। दरअसल प्याज की कीमत भी 1.91 प्रतिशत कम हुई है।
प्रोटीन वाली वस्तुएं जैसे अंडा, मांस, मछली और दलहन के दाम बढ़े हैं। मांसाहारी वस्तुओं को देखें तो इनकी कीमतों में बढ़ोतरी हुई है।
इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘सितंबर, 2021 में पिछले महीने की तुलना में महंगाई दर में गिरावट मुख्य रूप से खाद्य वस्तुओं के कारण हुई है, जिसमें 4.7 प्रतिशत की गिरावट आई है, जो 8 माह का निचला स्तर है। इनमें सब्जियों के दाम में तेज गिरावट हुई है और आधार के असर के कारण ईंधन और बिजली के दाम कम हुए हैं।’ उन्होंने कहा कि बहरहाल अन्य श्रेणियों में महंगाई दर या तो स्थिर बनी हुई है या कुछ बढ़ी है और वैश्विक स्तर पर तमाम जिंसों में तेजी का असर पड़ा है।
सितंबर महीने में सीमेंट व स्टील महंगे हुए हैं।
नायर ने चेताया है कि लगातार 4 महीने तक कमी के बाद अक्टूबर, 2021 में थोक महंगाई बढ़ सकती है और वित्त वर्ष 22 की तीसरी तिमाही में यह दो अंकों में बनी रह सकती है।
बर्कलेज में भारत के मुख्य अर्थशास्त्री राहुल बाजोरिया ने कहा कि खुदरा महंगाई वित्त वर्ष 22 में औसतन 5.4 प्रतिशत रह सकती है, जो जोखिम के हिसाब से संतुलित है। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक नीतिगत सख्ती की राह पर चल सकता है और दिसंबर में रिवर्स रीपो दर में 20 आधार अंक की बढ़ोतरी हो सकती है।

First Published : October 14, 2021 | 11:25 PM IST