प्रतीकात्मक तस्वीर
भारत के निर्यात पर अमेरिका में 26 फीसदी जवाबी शुल्क पर लगी 90 दिनों की रोक 9 जुलाई को खत्म होने के बाद नई व्यापार बाधाओं का सामना करने का खतरा बना हुआ है। अमेरिका और चीन के बीच जवाबी शुल्क पर रोक लगाने की सहमति भी भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव डाल सकती है। वित्त मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में आज इसका जिक्र किया।
अप्रैल की मासिक आर्थिक समीक्षा में आर्थिक मामलों के विभाग के आर्थिक प्रकोष्ठ के अधिकारियों ने लिखा कि भारत और अमेरिका के बीच सफल व्यापार समझौता अर्थव्यवस्था के जोखिम को कम करते हुए निर्यात को बढ़ावा दे सकता है।
व्यापार शुल्क पर अनिश्चितता के मद्देनजर चालू वित्त वर्ष में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश में उतार-चढ़ाव बना रह सकता है और निजी निवेश भी प्रभावित हो सकता है क्योंकि वैश्विक अनिश्चितता और सख्त वित्तीय स्थिति के बीच कंपनियां निवेश में ज्यादा सतर्कता बरत सकती हैं।
समीक्षा में कहा गया है, ‘अगले वित्त वर्ष के लिए अमेरिकी बजट विधेयक का पारित होना और मूडीज द्वारा हाल ही में अमेरिकी सॉवरिन क्रेडिट रेटिंग घटाए जाने के मद्देनजर अमेरिकी बॉन्ड बाजार की प्रतिक्रिया भी वैश्विक स्तर पर वित्तीय बाजार की दिशा तय करेगी।’
वित्त वर्ष 2025 में देश में शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में मामूली कमी आई और सकल एफडीआई प्रवाह मोटे तौर पर 81 अरब डॉलर पर स्थिर रहा। हालांकि अधिकारियों ने इस बात पर कुछ असहजता जताई कि भारतीय उद्योग विदेश में बड़ी मात्रा में निवेश कर रहा है जबकि घरेलू स्तर पर निवेश को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है।
वित्त मंत्रालय ने भारत की वृहद आर्थिक स्थिरता, राजकोषीय विवेक और मुद्रास्फीति में नरमी जैसे फायदों को रेखांकित करते हुए कहा, ‘यह खुद की पीठ थपथाने का क्षण नहीं है, बल्कि अपनी ताकत को पहचानने और निवेशकों के लिए खुद को न केवल आकर्षक बल्कि अपरिहार्य बनाने के लिए उस ताकत का फायदा उठाने का क्षण है।’ वित्त मंत्रालय ने अप्रैल 2025 की अपनी मासिक आर्थिक समीक्षा में कहा कि भले अमेरिका ने अपने जवाबी शुल्क को 90 दिनों के लिए टाल दिया है लेकिन उससे भारत के निर्यात परिदृश्य में अनिश्चितता आ गई है।
समीक्षा में कहा गया है, ‘नई व्यापार बाधाएं बाहरी मोर्चे पर एक प्रमुख जोखिम बनी हुई हैं। ऐसे में भारत और अमेरिका के बीच एक सफल व्यापार समझौता मौजूदा चुनौतियों को अनुकूल परिस्थितियों में बदल सकता है। इससे नए बाजार में पहुंच सुनिश्चित होगी और निर्यात को बल मिलेगा।’ वित्त मंत्रालय ने कहा कि भारत में तमाम वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच एक प्रमुख निवेश गंतव्य बनने की पूरी क्षमता है।
मुद्रास्फीति के बारे में वित्त मंत्रालय ने कहा कि खाद्य वस्तुओं की कीमतों में तेजी के कारण दिखने वाला मुद्रास्फीति का दबाव आगे कम होगा। रबी फसलों की अच्छी उपज, ग्रीष्मकालीन फसलों के बोआई का रकबा बढ़ने और खाद्यान्न के पर्याप्त बफर स्टॉक के कारण मुद्रास्फीति का दबाव कम हो सकता है। समीक्षा में कहा गया है, ‘मौसम विभाग ने इस साल मॉनसून के सामान्य से बेहतर रहने का अनुमान जाहिर किया है जिससे इस दृष्टिकोण को बल मिलता है।’