प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
अमेरिका ने भारत के कई उत्पादों पर 50 फीसदी टैरिफ लगा दिया है। इसके जवाब में भारत सरकार ने तुरंत राहत उपाय शुरू किए हैं। सूत्रों के मुताबिक, सरकार का मकसद निर्यातकों को नकदी की कमी से बचाना, उत्पादन को बनाए रखना और नौकरियों को सुरक्षित रखना है। इसके अलावा विशेष आर्थिक क्षेत्रों (SEZ) में छूट और आयात प्रतिस्थापन (Import Substitution) को बढ़ावा देने की योजना है।
अमेरिका ने 7 अगस्त से 25 फीसदी और 27 अगस्त से अतिरिक्त 25 फीसदी टैरिफ लगाया। ट्रंप ने दावा कि यह कदम भारत के रूसी कच्चे तेल की खरीद को लेकर उठाया गया। इससे भारत के करीब 49 अरब डॉलर के निर्यात पर असर पड़ा है। यह भारत के अमेरिका को होने वाले कुल निर्यात का 55 फीसदी से ज्यादा है। खासकर कालीन (60 फीसदी), टेक्सटाइल (50 फीसदी), रत्न और आभूषण (30 फीसदी) और परिधान (40 फीसदी) जैसे क्षेत्रों पर ज्यादा असर पड़ेगा।
निर्यातकों को ऑर्डर रद्द होने, भुगतान में देरी और नकदी की कमी का डर सता रहा है। सरकार ने इसके लिए कई योजनाएं तैयार की हैं। छोटे और मझोले उद्यमों (MSME) को खास ध्यान दिया जा रहा है। इनके लिए ब्याज सब्सिडी, फैक्टरिंग, कोलैटरल सपोर्ट, निर्यात नियमों में मदद, ब्रांडिंग, पैकेजिंग और लॉजिस्टिक्स सहायता दी जाएगी। साथ ही गोदाम सुविधाओं को बेहतर किया जाएगा।
SEZ यूनिट्स में ऑर्डर घटने की आशंका है। सरकार इन इकाइयों को विशेष छूट देगी। GST में टैक्स स्लैब कम करने और ज्यादा सामान को कम टैक्स ब्रैकेट में लाने की योजना है। इससे घरेलू मांग बढ़ेगी, जो निर्यातकों को वैकल्पिक बाजार देगी।
सूत्रों का कहना है कि भारत की अर्थव्यवस्था निर्यात पर पूरी तरह निर्भर नहीं है। यह मुख्य रूप से घरेलू मांग पर टिकी है। वित्त वर्ष 2025 में 438 अरब डॉलर का माल निर्यात हुआ, जो GDP का 10.4 फीसदी है। कुछ क्षेत्रों में कीमत में बढ़ोतरी सीमित है। फिर भी, निर्यात को अहम माना जा रहा है।
सरकार का कहना है कि टैरिफ से अस्थायी तनाव है, लेकिन भारत पूरी तरह तैयार है। मध्यम अवधि में भारत अपने मुक्त व्यापार समझौतों (FTA) का फायदा उठाएगा। खरीदार-विक्रेता संपर्क बढ़ाएगा और GST सुधारों को मजबूत करेगा। लंबी अवधि में विविध और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी निर्यात आधार बनाने की योजना है। SEZ सुधार और आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने पर भी जोर है। ये कदम सुनिश्चित करेंगे कि भारतीय निर्यातक तात्कालिक झटकों से बचे रहें। साथ ही, वे नए बाजारों में जगह बना सकें और प्रतिस्पर्धा में आगे रहें।