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करदाता चार्टर से नहीं रुकेगा कर उत्पीडऩ!

Last Updated- December 15, 2022 | 3:26 AM IST

करदाताओं व आयकर विभाग के बीच विश्वास कायम करने के लिए  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को करदाता चार्टर पेश किया है, लेकिन सरकार को प्रशासन में सुधार करने की जरूरत है, जिससे हकीकत में इस दिशा में काम हो सके। मोदी ने पूरे देश में पहचान रहित (फेसलेस) कर समीक्षा व्यवस्था का विस्तार करने की घोषणा की है, जिससे सामान्य रूप से याचिकाएं घट सकती हैं, लेकिन जटिल मामलों में इससे लाभ मिलने की संभावना नहीं है।
चार्टर में तमाम अच्छी चीजें हैं, जैसे विभाग हर करदाता को ईमानदार के रूप में देखेगा, अगर उसे इसके विपरीत साबित करने के लिए पर्याप्त वजह नहीं है। विभाग उससे उचित, विनम्र और विवेकसम्मत व्यवहार करेगा। बहरहाल यह ऐसी अभिलाषा होने जैसा बयान है और जब तक अधिकारियों के जमीन स्तर पर व्यवहार बदलने की दिशा में सुधार नहीं किए जाते हैं, ज्यादा बदलाव नहीं आने वाला है। इसके अलावा अधिकारियों को अतार्किक कर संग्रह का लक्ष्य दिया जाता है, जैसा कि बीते साल में दिया गया। इसकी वजह से वे आक्रामक मांग पेश करने
लगते हैं।
चार्टर में एक बात यह कही गई है कि विभाग करदाताओं के प्रति जवाबदेह होगा। एकेएम ग्लोबल के टैक्स पार्टनर अमित माहेश्वरी ने कहा, ‘बहरहाल हमने कई बार देखा है कि ज्यादा कर आकलन को न्यायालयों ने खारिज कर दिया है, और कर अधिकारी के गलत अनुमान लगाने और अनुचित कर मांग रखने के बावजूद उस पर कोई असर नहीं पड़ा।’ उन्होंने कहा कि इसमें करदाताओं को याचिका में कीमती समय के साथ धन बर्बाद करना पड़ता है।
चार्टर में करदाताओं को तमाम अधिकार दिए गए हैं। इसमें करदाता को कर कार्यालय से बकाया कर मांग को आसान किस्तों में भुगतान करने के लिए बातचीत करने का अधिकार नहीं है। माहेश्वरी ने कहा, ‘कई बार करदाता को नकदी के संकट से जूझना पड़ता है और ऐसे में कर मांग पूरी करने से कारोबार पर असर पड़ता है।’ चार्टर में एक और अहम अधिकार नहीं है कि करदाता पर किसी भी मामले में पूर्ववर्ती कराधान नहीं लगेगा।
जहां तक पहचान रहित आकलन का विस्तार पूरे देश में किए जाने का सवाल है, कर विशेषज्ञों ने कहा कि इससे सामान्य कर याचिकाएं कम होंगी, लेकिन कुछ जटिल मामलों को बेहतर तरीके से समझने की जरूरत होगी और करदाताओं से सामना होने पर विवाद बढ़ सकता है। एक कर विशेषज्ञ ने कहा कि जहां तक कारण बताओ नोटिस जारी करने के पहले कर अधिकारियों और करदाताओं के बीच आमने सामने बातचीत न होने का मामला है, जब एक बार नोटिस दे दिया जाएगा तो यह ध्यान में रखा जाना चाहिए कि संभवत: उसके बाद करदाताओं की सुनवाई नहीं होगी।
होस्टबुक्स लिमिटेड के संस्थापक और चेयरमैन कपिल राणा के मुताबिक पहचान रहित आकलन से संभवत: कानून व प्रक्रिया संबंधी टकराव के मामले में कोई बदलाव नहीं होगा। उन्होंने कहा, ‘निश्चित रूप से आंशिक रूप से याचिकाओं में कमी आएगी, क्योंकि प्रक्रिया में पहचान नहीं है। लेकिन जब मामला कानून के उल्लंघन का होने पर स्थिति पूर्ववत रहेगी।’
बहरहाल टैक्समैन के कर विशेषज्ञ नवीन वाधवा ने कहा कि पहचान रहित आकलन से करदाताओं का उत्पीडऩ और भ्रष्टाचार कम होगा। खेतान ऐंड कंपनी के अभिषेक रस्तोगी का कहना है कि पहचान रहित आकलन से उत्पीडऩ कम होगा, लेकिन याचिकाओं के मामले में संभवत: ऐसा न हो, क्योंकि कर अधिकारी का झुकाव राजस्व विभाग के प्रति ज्यादा होगा।

First Published - August 15, 2020 | 12:16 AM IST

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