ऑनलाइन गेमिंग और फैंटसी गेमिंग ऐप्स की जांच का दायरा बढ़ाते हुए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने पाया है कि बीते तीन साल में एक भारतीय गेमिंग कंपनी के प्रतिभागियों ने 58,000 करोड़ रुपये की राशि जीती है। सीबीडीटी के चेयरमैन नितिन गुप्ता ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि जीत की राशि पर 30 फीसदी कर और जुर्माने के साथ विजेता प्रतिभागियों पर करीब 20,000 करोड़ रुपये की कर देनदारी बनती है।
गुप्ता ने कहा, ‘यह भारतीय कंपनी है। हम विजेताओं से आगे आने और अपने आयकर रिटर्न को अद्यतन करते हुए उस पर कर चुकाने के लिए कह रहे हैं। अगर वे स्वेच्छा से आगे नहीं आते हैं तो उचित कार्रवाई की जाएगी।’ हालांकि गुप्ता ने कंपनी के नाम का खुलासा नहीं किया मगर कहा कि कर विभाग के पास प्रतिभागियों और विजेताओं की जानकारी है।
गुप्ता ने कहा, ‘हमारे पास जो भी जानकारी है, उसके हिसाब से हम आगे बढ़ेंगे। करदाताओं को स्वैच्छिक रूप से आगे आना चाहिए। जानकारी बहुत अधिक मात्रा में है और हम इसका अध्ययन कर रहे हैं। संभव है कि कुछ विजेताओं ने ज्यादा कमाई की हो और कुछ ने कम। हमारे पास आवश्यक जानकारी है।’ जीत की यह राशि वित्त वर्ष 2019-20, 2020-21 और 2021-22 की है।
लॉटरी, वर्ग पहेली, घुड़दौड़, कार्ड गेम तथा जुआ या सट्टेबाजी से होने वाली जीत पर बिना किसी बुनियादी छूट के 30 फीसदी की दर से कर लगता है। ऐसे मामले में इनाम की राशि पर आम तौर पर स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) की जाती है और शेष राशि का भुगतान प्रतिभागियों को किया जाता है। जुआ, सट्टेबाजी या लॉटरी आदि से होने वाली जीत पर टीडीएस एवं कर देनदारी का प्रावधान आयकर अधिनियम की धारा 155बीबी और 194बी में किया गया है।
गुप्ता आगे ने कहा, ‘इसमें खर्च को समायोजित करने की अनुमति नहीं होती है। अगर आप गेम में हार जाते हैं तो इसे अपनी आगे की जीत में समायोजित नहीं कर सकते। लॉटरी की तरह प्रत्येक जीत पर कर देनदारी बनती है।’
उन्होंने कहा कि अनाम गेमिंग कंपनी की जांच ऑनलाइन सट्टा और गेमिंग ऐप्स एवं साइटों की व्यापक जांच का हिस्सा है। बीते पांच साल में ऐसे ऐप्स और साइटों की बाढ़ आ गई है। गुप्ता ने कहा, ‘हमने पाया है कि बीते कुछ वर्षों में ऑनलाइन गेम्स और ऐसी गतिविधियों से काफी मात्रा में कमाई की गई है।’
उन्होंने कहा, ‘आयकर कानून में इस तरह के गेम से होने वाली जीत पर कर लगाने का प्रावधान है। इसमें हार या खर्च की भरपाई की अनुमति नहीं है। कानून के प्रावधान के अनुसार इस पर 30 फीसदी की समान दर से कर लगता है। ऐसे में इस तरह की गतिविधियों से जिसने पैसे अर्जित किए हैं उन्हें अपनी आय का खुलासा करना चाहिए और उस पर कर चुकाना चाहिए।’
गेमिंग और सट्टेबाजी ऐप के लिए सख्त नियमन लाने के क्रम में सीबीडीटी की यह जांच सामने आई है। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की इस महीने के अंत में होने वाली बैठक में कसीनो तथा ऑनलाइन गेमिंग पर 28 फीसदी की दर से जीएसटी लगाने का निर्णय हो सकता है।