अर्थव्यवस्था

डिजिटल मुद्रा अपनाने की गति धीमी, जागरूकता की कमी है कारण

इस साल के अंत तक रिजर्व बैंक के निर्धारित लक्ष्य 10 लाख लेनदेन पर संकट

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मनोजित साहा   
Last Updated- October 15, 2023 | 10:27 PM IST

पिछले साल दिसंबर में शुरू हुए केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) के खुदरा खंड का परीक्षण काफी धीमी गति से चल रहा है। हालांकि, भारतीय रिजर्व बैंक ने इस साल के अंत तक दस लाख लेनदेन का महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया है।

इस मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने कहा कि प्रायोगिक परीक्षण के लिए 35 लाख कारोबारी और 10 लाख ग्राहकों को चुना गया है मगर रोजाना केवल 10 से 12 हजार लेनदेन ही हो पा रहे हैं। एक सूत्र ने कहा, ‘जागरूकता की अभी भी कमी है। हमें लोगों को यह बताना होगा कि यह यूनाफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) से अलग है।’

प्रायोगिक परियोजना में 13 बैंक हिस्सा ले रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘हालांकि, कारोबारियों और उपभोक्ताओं की संख्या बढ़ी है मगर वे लेनदेन नहीं कर रहे हैं। उपयोग को बढ़ाने की जरूरत है और इसके लिए जागरूकता जरूरी है।’

सीबीडीसी केंद्रीय बैंक द्वारा जारी करेंसी नोट का एक डिजिटल रूप है। रिजर्व बैंक व्यापक तौर पर ई-रुपये (ईआरई) को वैध मुद्रा के डिजिटल रूप में परिभाषित किया है। यह सॉवरिन पेपर करेंसी की तरह ही है मगर इसका रूप अलग है। यह मौजूदा मुद्रा के साथ विनिमय के योग्य है और इसे वैध मुद्रा के तौर पर भुगतान का एक वैध तरीके के तौर स्वीकार किया गया है। साथ ही यह मूल्य को सुरक्षित रखता है।

सीबीडीसी को प्रचलित करने के लिए रिजर्व बैंक की प्रमुख पहलों में से एक सीबीडीसी और यूपीआई के बीच त्वरित लेनदेन में समर्थ बनाना है। कई बैंकों ने अपने ग्राहकों के लिए ऐसी सेवाएं भी शुरू की हैं। हालांकि, बहुत से ग्राहक सीबीडीसी में लेनदेन नहीं कर रहे हैं और इसका मुख्य कारण जागरूकता की कमी है।

1 दिसंबर 2022 को शुरू हुआ प्रायोगिक परीक्षण शुरू में मुंबई, नई दिल्ली, बेंगलूरु और भुवनेश्वर जैसे चार शहरों में शुरू किया गया था। बाद में इसका दायरा अहमदाबाद, गंगटोक, गुवाहाटी, हैदराबाद, इंदौर, कोच्चि, लखनऊ, पटना और शिमला तक बढ़ा दिया गया।

रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर टी रवि शंकर ने कहा कि आरबीआई प्रायोगिक परीक्षण के दौपान विभिन्न तकनीकी आर्किटेक्चर, डिजाइन विकल्पों और उपयोग के मामलों का परीक्षण करने में सक्षम है।

उन्होंने कहा, ‘करेंसी का डिजिटल रूप कई संभावनाओं को अपने साथ लाता है जो नवीनता और दक्षता ला सकता है। जैसे वर्तमान प्रणालियों में ऑफलाइन, सीमा पार लेनदेन की विशेषताएं और वित्तीय प्रणाली को संचालित करने के लिए पूरी तरह से नए ढांचे का निर्माण कर सकता है। मेरा मानना ​​है कि यूपीआई की तरह ही हम आने वाले दिनों में मुद्रा के इस डिजिटल रूप में कई सारे नवाचार देखेंगे।’

सूत्रों ने कहा कि सीबीडीसी परिवेश में ऑनलाइन एग्रीगेटरों और शॉपिंग ऐप्लिकेशन (ऐप) को शामिल करने से डिजिटल रुपये की लोकप्रियता बढ़ाने में मदद मिल सकती है। हालांकि, अभी भी ऑनलाइन ऐप्स को शामिल करने की योजना है मगर इसमें संभवतः छह महीने या इससे अधिक का समय लगेगा। एक व्यक्ति ने कहा, ‘उन ऐप्लिकेशनों में इसके लिए व्यवस्था करनी होगी।’

ई-रुपये को बढ़ावा देने के लिए रिजर्व बैंक का एक प्रमुख उद्देश्य सीमा पार भुगतान पर लेनदेन लागत को कम करना है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सीमा पार लेनदेन से जुड़ी उच्च लागत और धीमी गति का मुद्दा उठाया था और कहा था कि सीबीडीसी की तुरंत-निपटान सुविधा उन मुद्दों को निपाटने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

First Published : October 15, 2023 | 10:27 PM IST