अर्थव्यवस्था

Services PMI: भारत में सर्विस सेक्टर की धीमी पड़ी रफ्तार, सितंबर में 10 महीने के निचले स्तर पर

PMI services growth: 'साल 2024 में पहली बार सर्विस सेक्टर का इंडेक्स 60 के नीचे गिरा है, लेकिन 57.7 के लेवल पर यह अभी भी लॉन्ग-टर्म एवरेज से कहीं ऊपर है।'

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एजेंसियां   
Last Updated- October 04, 2024 | 4:52 PM IST

PMI services growth in September: सितंबर में भारत के प्रमुख सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर (services sector growth rate in September) मजबूत बनी रही, मगर मांग में कमी के चलते 10 महीनों के निचले स्तर पर पहुंच गई। यह जानकारी आज यानी शुक्रवार को जारी एक बिजनेस सर्वे के आंकड़ों से मिली।

HSBC की तरफ से एसएंडपी ग्लोबल (S&P Global) के सहयोग से संकलित भारत का सर्विसेज PMI (परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स) सितंबर में 57.7 पर पहुंच गया, जो अगस्त में दर्ज 60.9 के पांच महीने के हाई लेवल से कम है। पहले अनुमान लगया गया था कि भारत का सितंबर के लिए सर्विस PMI 58.9 होगा। मगर आज के आंकड़े उम्मीद से कम रहे।

पहली बार सर्विस सेक्टर का इंडेक्स 60 के नीचे गिरा

HSBC की मुख्य भारतीय अर्थशास्त्री प्रांजुल भंडारी ने कहा, ‘साल 2024 में पहली बार सर्विस सेक्टर का इंडेक्स 60 के नीचे गिरा है, लेकिन 57.7 के लेवल पर यह अभी भी लॉन्ग-टर्म एवरेज से कहीं ऊपर है।’

पिछले तीन सालों से यह इंडेक्स 50 के लेवल से ऊपर बना हुआ है, जो विस्तार और संकुचन (expansion from contraction) के बीच की सीमा दर्शाता है।

न्यू बिजनेस सब-इंडेक्स कुल मांग का मापक है। यह नवंबर के बाद से अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। लेकिन यह अभी भी ऐतिहासिक औसत से ऊपर था। अंतरराष्ट्रीय मांग इस साल सबसे धीमी गति से बढ़ी।

भर्तियां रहीं जारी

फिर भी, अगले साल के लिए बिजनेस आउटलुक में सुधार देखा गया, जिससे कंपनियों ने कर्मचारियों की भर्ती जारी रखी। अगस्त के मुकाबले भर्ती में थोड़ी तेजी आई और नौकरी पैदा करने का सिलसिला दो साल से अधिक समय से जारी है।

अगस्त के मुकाबले सितंबर में लागत मुद्रास्फीति (Cost inflation) बढ़ी। इसकी वजह बिजली, खाद्य और अन्य सामग्रियों की कीमतों में इजाफा है। हालांकि, कंपनियों ने फरवरी 2022 के बाद से सबसे धीमी गति से ग्राहकों पर अतिरिक्त लागत का भार डाला।

प्रांजुल भंडारी ने आगे कहा, ‘सेवाओं से जुड़ी कंपनियों के मार्जिन पर दबाव बढ़ने की संभावना है, क्योंकि जब लागत में वृद्धि हुई तो कीमतें धीरे-धीरे बढ़ाई गईं।’

रीपो रेट पर टिकीं निगाहें

भारत की महंगाई दर जुलाई और अगस्त में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के 4 प्रतिशत के मीडियम-टर्म के टारगेट से नीचे रही। हाल के रॉयटर्स सर्वे के अनुसार, यह 2026 तक हर तिमाही में औसतन 4.2-4.6% के बीच रहने का अनुमान है।

RBI के बुधवार को प्रमुख रेपो रेट को 6.50 प्रतिशत पर बनाए रखने और दिसंबर में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती करने की संभावना है।

मंगलवार को जारी मैन्युफैक्चरिंग PMI भी अगस्त में आठ महीनों के निचले स्तर 56.5 पर आ गया, और सेवा क्षेत्र में गतिविधियों की गिरावट के साथ-साथ ओवरआल कंपोजिट PMI भी नवंबर के बाद से सबसे कमजोर रहा। कंपोजिट इंडेक्स सितंबर में 60.7 से गिरकर 58.3 पर पहुंच गया।

First Published : October 4, 2024 | 2:56 PM IST