भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने लगातार तीसरी मौद्रिक समीक्षा में रीपो दर 6.5 फीसदी पर बरकरार रखने का फैसला किया है। मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद आज केंद्रीय बैंक ने जुलाई में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़ने की आशंका नजरअंदाज करते हुए तरलता के मामले में सख्ती बरतने का निर्णय लिया।
समिति ने सर्वसम्मति से रीपो दर यथावत रखने का फैसला किया। जयंत वर्मा को छोड़कर सभी सदस्यों ने उदार नीतिगत रुख वापस लेने का सिलसिला बरकरार रखने की जरूरत बताई।
दरों और रुख को यथावत रखने का फैसला अपेक्षा के अनुरूप रहा मगर केंद्रीय बैंक ने सभी अनुसूचित बैंकों लिए 19 मई, 2023 से 28 जुलाई, 2023 के बीच शुद्ध मांग और समय पर देनदारी (एनडीटीएल) में बढ़ोतरी पर 10 फीसदी वृद्धिशील नकद आरक्षी अनुपात (आई-सीआरआर) बनाए रखना अनिवार्य कर दिया। यह नियम सभी को चकित कर गया। इसे 12 अगस्त से लागू कर दिया जाएगा।
2000 रुपए के 90 फीसदी नोट वापस आए
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, ‘तरलता की अधिकता देखते हुए वृद्धिशील सीआरआर की व्यवस्था को आवश्यक समझा गया।’ तरलता दुरुस्त करने के लिए बैंकों को अगस्त में आरबीआई के पास 2 लाख करोड़ रुपये रखने होंगे। मई में 2,000 रुपये के नोट वापस लेने की घोषणा के बाद से अभी तक 90 फीसदी नोट वापस आ चुके हैं, जिसकी वजह से तरलता बढ़ी है।
दास ने कहा, ‘यह उपाय कुछ समय के लिए है और 8 सितंबर या उससे पहले इस पर फिर विचार किया जायएगा। हम अर्थव्यवस्था में उधारी की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए बैंकिंग तंत्र में पर्याप्त तरलता सुनिश्चित करेंगे।’
उन्होंने यह भी कहा कि केंद्रीय बैंक को सितंबर-अक्टूबर से शुरू होने वाले त्योहारी सीजन से पहले नकदी की जरूरतों का पूरा ध्यान है। सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के लिए 19 मई से 28 जुलाई की अवधि में वृद्धिशील एनडीटीएल करीब 10 लाख करोड़ रुपये थी।
भारतीय स्टेट बैंक ने एक रिपोर्ट में कहा कि बैंकों को अब 12 अगस्त से अगले 15 दिन के लिए अतिरिक्त 10 फीसदी सीआरआर या करीब 1 लाख करोड़ रुपये आरबीआई के पास जमा कराने होंगे।
जुलाई में महंगाई बढ़ने की आशंका
भारतीय स्टेट बैंक के ग्रुप मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने कहा, ‘10 फीसदी अतिरिक्त सीआरआर के इस कदम से अधिशेष नकदी 2.6 लाख करोड़ रुपये घट जाएगी।’ अतिरिक्त सीसीआर के निर्णय से बॉन्ड बाजार पर कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकि यह अस्थायी उपाय है मगर 91 दिन के ट्रेजरी बिल के रिटर्न पर असर पड़ सकता है। इसकी वजह से ओवरनाइट दरें भी रीपो दर से ज्यादा हो सकती हैं।
अप्रैल में खुदरा मुद्रास्फीति 6 फीसदी से नीचे थी और मई तथा जून में यह केंद्रीय बैंक के लक्षित दायरे के भीतर रही। लेकिन सब्जियों के दाम में तेजी से जुलाई में इसके बढ़ने की आशंका है। हालांकि मौद्रिक नीति समिति की राय है कि कीमतों में जल्द ही कमी आएगी और दूसरी व तीसरी तिमाही में इसमें तेज वृद्धि को नजरअंदाज किया जाना चाहिए। इसलिए वित्त वर्ष 2024 में औसत मुद्रास्फीति अनुमान को 5.1 फीसदी से संशोधित कर 5.4 फीसदी कर दिया गया है।