वित्त मंत्रालय के साथ ही वित्त क्षेत्र के नियामकों- भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई), भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सॉवरिन रेटिंग में संभावित कमी को टालने के लिए अपनी सुरक्षा बढ़ा दी है।
यह कदम मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस की ओर से भारत की सॉवरिन रेटिंग को कम कर इसे न्यूनतम निवेश ग्रेड में किए जाने के बाद उठाया गया है।
सूत्र बताते हैं कि सरकार ने नियामकों और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों को इन वैश्विक रेटिंग एजेंसियों की ओर से भारतीय अर्थव्यवस्था में मौजूद चुनौतियों और दूसरे मुद्दों पर आयोजित होने वाले कॉन्फ्रेंसों में शामिल होने के लिए
कहा है।
इस योजना से अवगत एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यदि किसी तरह के हस्तक्षेप करने की जरूरत है तो हम उसके लिए चौकन्ना रहना चाहते हैं। इसके साथ ही वे लोगों के बीच उठ रहे प्रमुख मुद्दों, विशेष तौर पर हमेशा चर्चा के केंद्र में शामिल राजकोषीय समझदारी और वृद्धि तथा अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए उनके मुताबिक उठाए जाने वाले कदमों को समझना चाहते हैं।
उक्त व्यक्ति ने कहा कि ऐसी बैठकों में शामिल होने की कवायद पहले ही शुरू हो चुकी है। इन बैठकों में विशेष तौर अलग अलग देशों से अर्थशास्त्री, निवेश बैंकर, सार्वजनिक और निजी कंपनियां शामिल होती हैं। वे यहां पर वृहद परिस्थिति और चुनौतियों का सामना करने के संभावित तरीकों पर अपने विचारों और दृष्टि को साझा करते हैं।
रेटिंग कंपनी के सूत्र ने कहा, ‘यह पहल विशेष तौर पर वैश्विक फोरम पर प्रतिक्रियात्मक और अधिक सक्रिय हो रहा है जहां बहुत सारे विचारों का आदान प्रदान होता है तथा दी गई रेटिंग के आधार पर परिदृश्यों पर चर्चा की जाती है। इस मंच पर अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए विरोधाभासी मत रखने वाले लोगों को भी शामिल किया जाता है।’
विदेशी संस्थागत निवेशकों के लिए किसी देश की रेटिंग या परिदृश्य उन महत्त्वपूर्ण कारकों में शामिल है जिसको ध्यान में रखकर वे अपने निवेश की योजना बनाते हैं। यही वजह है कि सरकार लोगों की धारणा को समझने के लिए इन वैश्विक मंचों पर अधिक ध्यान देना चाहती है।
मौजूदा महामारी के परिणामस्वरूप लोग वैश्विक मंचों पर राजकोषीय समझदारी के मानदंड में ढील दिए जाने पर चर्चा कर रहे हैं जो भारत सहित उभरते देशों को बढ़ चढ़कर खर्च करने की अनुमति देगा। उन्होंने देशों के राजकोषीय घाटे के बढऩे के विशिष्ट कारणों पर भी चर्चा की।
सरकार यदि चाहे तो इन वैश्विक रेटिंग एजेंसियों को विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने के लिए कह सकती है। उक्त अधिकारी ने कहा कि हालांकि, सेमिनारों और कॉन्फ्रेंसों के उलट जब वे सरकारी अधिकारियों से मुलाकात करते हैं तो बहुत सतर्क होकर बात करते हैं।