अर्थव्यवस्था

आ​र्थिक वृद्धि और नीतिगत ​स्थिरता पर रहेगा जोर: आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा

संजय मल्होत्रा ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के 26वें गवर्नर के रूप में आज अपना पदभार ग्रहण किया। उनका कार्यकाल 3 साल का होगा।

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अंजलि कुमारी   
सुब्रत पांडा   
Last Updated- December 11, 2024 | 10:18 PM IST

संजय मल्होत्रा ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के 26वें गवर्नर के रूप में आज अपना पदभार ग्रहण किया। उनका कार्यकाल 3 साल का होगा। उन्होंने आरबीआई गवर्नर के रूप में संवाददाताओं से अपनी पहली बातचीत में कहा कि उनकी प्रमुख प्राथमिकताओं में आर्थिक वृद्धि को रफ्तार देना, नीति-निर्माण में स्थिरता सुनिश्चित करना और वित्तीय समावेशन का विस्तार शामिल रहेगा।

मल्होत्रा ने जोर देकर कहा कि वित्तीय समावेशन में काफी प्रगति हुई है मगर अभी भी काफी कुछ करना बाकी है। उन्होंने इन प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए वित्तीय प्रणाली में सभी हितधारकों के साथ सहयोग के महत्त्व पर जोर दिया। मल्होत्रा ​​ने कहा, ‘हमारी अर्थव्यवस्था अभी भी एक ऐसी अर्थव्यवस्था है जिसे अमृत काल में प्रवेश करने और 2047 तक विकसित भारत का सपना साकार करने के लिए विकसित होने की जरूरत है। ऐसे में यह सुनिश्चित करना प्रमुख जिम्मेदारी होगी कि वृद्धि की रफ्तार जारी रहे।’

आरबीआई के नए गवर्नर की यह बात काफी मायने रखती है क्योंकि सितंबर तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि दर सात तिमाहियों के निचले स्तर 5.4 फीसदी पर आ गई। यहां तक ​​कि आरबीआई ने हालिया मौद्रिक नीति बैठक में भी 2024-25 के लिए अपने वृद्धि अनुमान को 7.2 फीसदी से घटाकर 6.6 फीसदी कर दिया है।

वृद्धि की रफ्तार मंद पड़ने के कारण फरवरी की मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक में दरों में कटौती की मांग की गई है। मल्होत्रा आरबीआई गवर्नर के रूप में पहली बार उस बैठक की अध्यक्षता करेंगे।

मल्होत्रा ​​ने कहा, ‘मैं अपनी पिछली भूमिका में भी नीतिगत स्थिरता के लिए को​शिश कर रहा था। चाहे कराधान नीति हो अथवा राजकोषीय या मौद्रिक नीति, सभी कारोबारियों और लोगों को नीतिगत निरंतरता की जरूरत है।’

संजय मल्होत्रा ने आगाह किया कि हम एक ऐसी दुनिया में रह रहे हैं तो लगातार विकास कर रही है और भू-राजनीतिक तनाव, जलवायु परिवर्तन और वैश्विक राजनीतिक अनिश्चितता से ग्रस्त है।

वित्तीय समावेशन के बारे में उन्होंने कहा, ‘बैंकिंग एवं गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के साथ वित्तीय समावेशन का विस्तार करना केंद्रीय बैंक की एक महत्त्वपूर्ण भूमिका है।’ उन्होंने कहा कि बैंकिंग सेवाओं को दूरदराज के कोनों तक उपलब्ध कराने और सुलभ बनाने के लिहाज से वित्तीय समावेशन में उल्लेखनीय प्रगति हुई मगर अभी भी काफी कुछ करना बाकी है।

मल्होत्रा ने प्रौद्योगिकी पर अ​धिक ध्यान देने की बात कही। उन्होंने कहा कि इसका उपयोग लागत घटाने, वित्तीय समावेशन को अधिक सुलभ एवं व्यापक बनाने के लिए किया जा सकता है।

श​क्तिकांत दास की जगह लेने वाले मल्होत्रा ​​राजस्थान कैडर के 1990 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। आरबीआई गवर्नर नियुक्त होने से पहले मल्होत्रा ​​वित्त मंत्रालय में राजस्व विभाग और वित्तीय सेवा विभाग में सचिव थे।

First Published : December 11, 2024 | 10:18 PM IST