भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने गुरुवार को कहा कि केंद्रीय बैंक ने रुपये के लिए किसी भी स्तर का लक्ष्य नहीं बनाया है और अमेरिकी डॉलर के मुकाबले घरेलू मुद्रा में हाल में आई गिरावट की वजह डॉलर की मांग में तेजी है। गवर्नर ने कहा कि केंद्रीय बैंक के पास विदेशी मुद्रा का ‘‘काफी अच्छा’’ भंडार है और बाह्य क्षेत्र को लेकर चिंता की कोई आवश्यकता नहीं है।
दिल्ली स्कूल ऑफ इकॉनमिक्स में वीकेआरवी राव स्मृति व्याख्यान में मल्होत्रा ने कहा कि आरबीआई की सर्वोच्च प्राथमिकता प्रणाली में वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करना है और केंद्रीय बैंक जहां तक संभव हो, आवश्यक सुरक्षा उपायों एवं सुरक्षा-व्यवस्था को बनाए रखते हुए विनियमनों को सरल बनाने का प्रयास कर रहा है।
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डॉलर के मुकाबले रुपये के अवमूल्यन से जुड़े सवाल पर उन्होंने विश्वास जताया कि भारत, अमेरिका के साथ एक ‘‘अच्छा व्यापार समझौता’’ करेगा और इससे देश के चालू खाता शेष पर दबाव कम होगा। उन्होंने कहा कि भारतीय रुपये का हालिया अवमूल्यन व्यापारिक गतिविधियों और अमेरिकी शुल्क मुद्दों के कारण है।
मल्होत्रा ने कहा, ‘‘हम किसी स्तर को लक्ष्य नहीं बनाते। रुपये में गिरावट क्यों आ रही है? ऐसा मांग के कारण है…यह एक वित्तीय साधन है। डॉलर की मांग है और यदि डॉलर की मांग बढ़ती है तो रुपये में गिरावट आती है। यदि रुपये की मांग बढ़ती है तो डॉलर में गिरावट आती है और रुपया मजबूत होता है।’’
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अमेरिकी मुद्रा में व्यापक मजबूती एवं अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की कम होती संभावनाओं के बीच रुपया गुरुवार को 23 पैसे टूटकर 88.71 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर बंद हुआ। विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने बताया कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक से जुड़े ब्योरे में दिसंबर में नीतिगत दर में कटौती न करने का संकेत मिलने के बाद डॉलर में तेजी आई है और यह 100 के स्तर के पार पहुंच गया। इससे घरेलू मुद्रा पर दबाव बढ़ा है।
बैंकिंग सेक्टर से जुड़े एक अन्य सवाल के जवाब में गवर्नर ने कहा कि जिस तरह से भारतीय बैंक प्रदर्शन कर रहे हैं, बहुत जल्द उनमें से कुछ टॉप 100 ग्लोबल बैंकों में शामिल होंगे।
(PTI इनपुट के साथ)