सरकार FY24 में सरकारी कंपनियों (PSUs) से मिलने वाले डिविडेंड के अपने लक्ष्य से करीब 12,000 करोड़ रुपये (1.4 अरब डॉलर) ज्यादा प्राप्त कर सकती है। विनिवेश से सरकार के रेवेन्यू में होने वाली कमी की इससे भरपाई होगी। समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने मामले की जानकारी रखने वाले एक सरकारी सूत्र के हवाले से गुरुवार को यह जानकारी दी।
सूत्र ने कहा, लाभांश प्राप्तियां (dividend receipts) 55,000 करोड़ रुपये से लेकर 60,000 करोड़ रुपये तक हो सकती हैं, जो संभावित रूप से न केवल FY24 के लिए सरकार के 43,000 करोड़ रुपये के लक्ष्य से ज्यादा है, बल्कि पिछले वित्तीय वर्ष (FY23) में डिविडेंड से एकत्र किए गए 59,500 करोड़ रुपये से भी ज्यादा है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष में अब तक भारत को सरकारी कंपनियों से 43,800 करोड़ रुपये का डिविडेंड मिला है। ज्यादा डिविडेंड आंशिक रूप से सरकारी कंपनियों में इक्विटी की बिक्री से सरकार के रेवेन्यू में आई कमी की भरपाई करेगा।
सूत्र ने कहा कि सरकार इस वित्तीय वर्ष में इक्विटी बिक्री के माध्यम से 30,000 करोड़ रुपये भी नहीं जुटा पाएगी, जो कि 40 प्रतिशत से अधिक की कमी होगी।
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सूत्र के अनुसार, फिर भी, सरकार 2023-24 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 5.9 प्रतिशत के अपने राजकोषीय घाटे (fiscal deficit) के लक्ष्य को पूरा करने की संभावना है, क्योंकि टैक्स कलेक्शन (tax collection) अनुमान से अधिक होगा।
वित्त मंत्रालय ने रॉयटर्स द्वारा टिप्पणी मांगने के लिए भेजे गए मेल और संदेश का तुरंत जवाब नहीं दिया।
ICRA की अर्थशास्त्री अदिति नायर को उम्मीद है कि सरकार का शुद्ध कर राजस्व (net tax revenues) वित्तीय वर्ष के बजट लक्ष्य से 30,000 करोड़ रुपये से 40,000 करोड़ रुपये अधिक होगा।
सरकार ने अप्रैल-नवंबर में शुद्ध कर राजस्व के रूप में 14.36 लाख करोड़ रुपये एकत्र किए, जो वार्षिक लक्ष्य का 62 प्रतिशत है।