हैदराबाद की टीका निर्माता कंपनी भारत बायोटेक ने अप्रैल में देश के विभिन्न संयंत्रों में कोवैक्सीन की विनिर्माण क्षमता बढ़ाकर 50 करोड़ डोज सालाना कर दी। कंपनी ने रविवार को यह जानकारी दी। कंपनी ने यह भी कहा कि अप्रैल में देश मेंं टीकाकरण के लिए उसने 2 करोड़ डोज की आपूर्ति की है।
एक ट्वीट में भारत बायोटेक की संयुक्त प्रबंध निदेशक सुचित्रा एला ने कहा, हम अपने समर्थकों व आलोचकों को बताना चाहते हैं कि महामारी की शुरुआत से ही भारत बायोटेक की टीम ने कोवैक्सीन को विकसित करना शुरू कर दिया था और अपनी विनिर्माण क्षमता भी बढ़ा रही थी ताकि वैश्विक व सार्वजनिक स्वास्थ्य की जरूरतें पूरी की जा सके। उन्होंने कोवैक्सीन की पूरी यात्रा की समयसारणी भी बताई। कंपनी के सूत्रों ने संकेत दिया कि हैदराबाद को दो साइट पर विनिर्माण क्षमता बढ़ाकर 50 करोड़ डोज सालाना की गई है। साथ ही बेंंगलूरु में 20 करोड़ डोज सालाना करने के लिए काम चल रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि कंपनी ने अप्रैल में ही राष्ट्रीय स्तर पर टीकाकरण के लिए 2 करोड़ डोज की आपूर्ति की है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने पिछले हफ्ते कहा था कि वह कोविशील्ड (27.6 करोड़) और कोवैक्सीन (8 करोड़) समेत 35.6 करोड़ टीके की खरीद की है या फिर उसकी खरीद की प्रक्रिया में है। ये ऑर्डर चरणों में दिए गए। दूसरे चरण के लिए सरकार ने 2 करोड़ डोज का ऑर्डर दिया, जिसमें से 86 फीसदी हासिल किया जा चुका है और बाकी मई के आखिर तक मिल जाएंगे। तीसरे चरण के टीकाकरण के लिए कोवैक्सीन के 5 करोड़ डोज की डिलिवरी मई व जुलाई के बीच होगी।
20 अप्रैल को भारत बायोटेक ने ऐलान किया था कि वह कोवैक्सीन का सालाना उत्पादन 70 करोड़ डोज करने के लिए क्षमता बढ़ा रही है। कंपनी ने कहा था, हैदराबाद और बेंगलूरु में उत्पादन क्षमता में इजाफा चरणबद्ध तरीके से हो रहा है, साथ ही सुरक्षित उत्पादन के लिए प्रक्रिया जटिल व खर्चीली है, जिसके परिणामस्वरूप प्रतिफल कम रहता है।
इसके अलावा क्षमता में और इजाफे के लिए भारत बायोटेक ने इंडियन इम्युनिलॉजिकल (आईआईएल) के साथ साझेदारी की है, जो कोवैक्सीन के लिए ड्रग के विनिर्माण के लिए है। कंपनी ने कहा है कि तकनीक के हस्तांतरण की प्रक्रिया चल रही है और आईआईएल के पास इनएक्टिवेटेड वायरल वैक्सीन के विनिर्माण की क्षमता व अनुभव है, जो वह वाणिज्यिक तौर पर कर सकती है।
भारत बायोटेक अन्य देशों में भी विनिर्माण साझेदारी की संभावना तलाश रही है। पिछले महीने केंद्र ने कहा था कि वह भारत बायोटेक के बेंंगलूरु संयंत्र को 65 करोड़ रुपये का अनुदान दे रही है ताकि वह वैक्सीन के उïत्पादन की क्षमता बढ़ा सके। तीन पीएसयू को भी जरूरी ढांचे के साथ अपग्रेड किया गया है, जिनमें मुंबई की हैफकाइन बायोफार्मास्युटिकल कॉरपोरेशन (एनडीडीबी की भारतीय इकाई) और भारत इम्युनिलॉजिकल्स ऐंड बायोलॉजिकल्स लिमिटेड, बुलंदशहर शामिल है। राज्य की पीएसयू हैकिलाइन बायोफार्मासस्युटिकल कॉर्प को विनिर्माण संयंत्र के लिए 65 करोड़ रुपये की वित्त्तीय सहायता महाराष्ट्र सरकार से मिल रही है ताकि वह हर महीने 2 करोड़ डोज बना सके। आईआईएल और बीआईबीकोल भी अगस्त-सितंबर तक हर महीने 1-1.5 करोड़ डोज बना लेगी।
इस बीच, अहमदाबाद की हेस्टर बायोसाइंसेज ने कहा है कि गुजरात सरकार के साथ कंसोर्टियम बनाया गया है, जिसमें गुजरात सरकार अग्रणी साझेदार है ताकि कोविड वैक्सीन के विनिर्माण की संभावना भारत बायोटेक के तकनीक जरिये करने की संभावना तलाशी जा सके।