देश में पहली बार दुर्लभ खनिजों की नीलामी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। अब खान मंत्रालय इसकी औसत बिक्री कीमत (एएसपी) निर्धारित करने की प्रक्रिया बेहतर बनाने पर काम कर रहा है। मंत्रालय का लक्ष्य बेरिलियम, कैडमियम, गैलियम, इंडियम, रेनियम, सेलेनियम, टैंटलम, टेल्यूरियम, टाइटेनियम, टंग्सटन और वैनेडियम जैसे कई दुर्लभ खनिजों की औसत कीमत तय करना है।
सरकार ने पहले रॉयल्टी दरों को सुव्यवस्थित किया था और ग्लूकोनाइट, लीथियम, मोलिब्डनम, नामीबियम, प्लैटिनम समूह के खनिज, पोटाश और दुर्लभ तत्त्वों जैसे खनिजों की औसत कीमत तय किया था।
भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) और एमईसीएल जैसी प्रमुख उत्खनन एजेंसियों ने इन दुर्लभ खनिजों की उत्खनन रिपोर्ट सौंप दी है। इन ब्लॉकों की नीलामी करने के लिए इन खनिजों की औसत बिक्री कीमत की गणना करना आवश्यक है।
मंत्रालय की अधिसूचना में कहा गया है कि भारतीय खान ब्यूरो (आईबीएम) इन खनिजों की औसत कीमत तय करेगा और इसके लिए यूनाइटेड स्टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे (यूएसजीएस) या इसी तरह के प्रतिष्ठित प्रकाशनों जैसे विश्वनीय स्रोतों से कीमतों का संदर्भ लेगा। खनिज (परमाणु और हाइड्रो कार्बन ऊर्जा खनिज के अलावा) रियायत नियम 2016 (एमसीआर 2016) के नियम 45 में प्रस्तावित संशोधन का उद्देश्य सभी 24 दुर्लभ खनिजों की औसत कीमत की गणना के लिए एक प्रक्रिया बनाना है। सरकार ने मसौदा संशोधन नियमों के संबंध में विभिन्न हितधारकों से 31 दिसंबर तक टिप्पणियां और सुझाव मांगा है।
सरकार ने बीते महीने 29 नवंबर को दुर्लभ खनिजों के 20 ब्लॉकों की 45,000 करोड़ रुपये की पहली किस्त की नीलामी प्रक्रिया शुरू की। उत्खनन एजेंसियां अन्य दुर्लभ खनिजों की खोज में भी लगी हुई हैं।