अर्थव्यवस्था

कच्चे तेल में तेजी से देसी कंपनियों के मार्जिन पर दबाव

तेल की कीमतों में तेजी ऐसे समय में आई है जब देश में उपभोक्ता मांग कमजोर हो रही है और वै​श्विक अर्थव्यवस्थाओं में भी नरमी देखी जा रही है।

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कृष्ण कांत   
Last Updated- September 25, 2023 | 9:42 PM IST

कच्चे तेल की कीमतों में हाल में आई तेजी देसी कंपनियों पर भारी पड़ सकती है और पिछली कुछ तिमाहियों के दौरान मुनाफा मार्जिन में हुआ फायदा साफ कर सकती है। तेल की कीमतें तब उछली हैं, जब जब देश में उपभोक्ता मांग कमजोर हो रही है और वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में भी नरमी दिख रही है।

मोटा हिसाब लगाने से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2023 की पहली तिमाही से वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) के बीच परिचालन लाभ में तीन-चौथाई वृद्धि कंपनियों के मार्जिन में इजाफे से हुई है और महज एक-​चौथाई लाभ आय में वृद्धि की बदौलत हुआ है।

कंपनियों की आय में वृद्धि की धीमी रफ्तार बता रही है कि उपभोक्ता मांग भी सुस्त पड़ रही है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सूचीबद्ध कंपनियों की आय वृद्धि का आंकड़ा 9 तिमाहियों में सबसे कम रहा। इसी तरह जून तिमाही में नॉमिनल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि में तेज कमी आने से लगता है कि मांग में नरमी अभी कुछ समय तक बनी रहेगी।

सिस्टमैटिक्स इंस्टीट्यूशनल इ​क्विटी में शोध एवं इ​क्विटी स्ट्रैटजी के प्रमुख धनंजय सिन्हा ने कहा, ‘बिक्री और आय में धीमी बढ़ोतरी के कारण हाल की तिमाहियों में कंपनियों के लिए दाम बढ़ाना मुश्किल हो गया है। कच्चे तेल में तेजी के कारण कंपनियों की कच्चे माल तथा वित्त की जो लागत बढ़ेगी, उसका ज्यादातर हिस्सा उन्हें खुद ही बरदाश्त करना होगा। इसलिए अगली कुछ तिमाहियों में कंपनियों का मार्जिन कम रह सकता है।’

बीते तीन महीने में ब्रेंट क्रूड का दाम करीब 24 फीसदी बढ़कर 92 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गया, जो जून के अंत में 74.9 डॉलर प्रति बैरल ही था। मई 2022 से इस साल मई तक कच्चे तेल के दाम में गिरावट आ रही थी मगर अब हालत एकदम उलट है। पिछले साल मई में कच्चे तेल का दाम 122.8 डॉलर प्रति बैरल था जो करीब 40 फीसदी टूटकर मई 2023 में 72.6 डॉलर प्रति बैरल रह गया था।

2022 की दूसरी छमाही और 2023 की पहली छमाही में कच्चे तेल के दाम तेजी से घटने की वजह से भारतीय उद्योग जगत का एबिटा या परिचालन मुनाफा मार्जिन भी खूब बढ़ा था। इसी का असर था कि कंपनियों की आय कम रहने के बावजूद लाभ में भी उछाल देखा गया था।

बिज़नेस स्टैंडर्ड के नमूने में शामिल 2,936 सूचीबद्ध कंपनियों का कुल परिचालन मुनाफा वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही में पिछले साल की समान तिमाही की तुलना में 33.9 फीसदी बढ़ा था, जबकि इस दौरान उनकी कुल आय महज 8.2 फीसदी बढ़ी थी। कच्चे तेल के दाम अप्रैल-जून 2022 के औसतन 115.5 डॉलर प्रति बैरल से चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में घटकर 75.7 डॉलर पर आने से इन कंपनियों का एबिटा मार्जिन करीब 500 आधार अंक बढ़ा था।

मगर कच्चे तेल के दाम बढ़ने से तेल एवं गैस क्षेत्र की कंपनियों की आय में इजाफा हो सकता है। कच्चे तेल में गिरावट से भारतीय कंपनियों के लिए कच्चा माल और ईंधन सस्ता पड़ता है तथा ब्याज दरें भी घट जाती हैं।

ब्रेंट क्रूड के दाम और सूचीबद्ध कंपनियों के परिचालन मार्जिन के बीच हमेशा से छत्तीस का आंकड़ा रहा है। इसके उलट तरह कच्चे तेल के दाम और 10 वर्षीय सरकारी बॉन्ड के रिटर्न के बीच सकारात्मक संबंध है। कच्चा तेल महंगा होने से 10 वर्षीय सरकारी बॉन्ड का रिटर्न भी बढ़ जाता है। इसकी वजह से कंपनियों के लिए उधार लेना भी महंगा हो जाता है।

इसके विपरीत कच्चे माल और ईंधन की कीमतों में कमी से विनिर्माता कंपनियों का परिचालन मार्जिन बढ़ जाता है। सस्ते कच्चे तेल के कारण ब्याज दर घटना बैंक और गैर-बैंक ऋणदाताओं के लिए फायदेमंद होता है क्योंकि तेल गैस, धातु एवं खनन, दूरसंचार, सीमेंट, वाहन, निर्माण तथा बुनियादी ढांचा क्षेत्र में पूंजी निवेश के लिए कर्ज की मांग बढ़ जाती है। इसके साथ ही कम ब्याज दरों से खास तौर पर वाहन और आवास क्षेत्र में मांग बढ़ जाती है।

इसके विपरीत जब वैश्विक तेल कीमतें बढ़ती हैं तो कंपनियों का मार्जिन और मुनाफा प्रभावित होता है।

First Published : September 25, 2023 | 9:42 PM IST