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PMI Data: भारत के प्राइवेट सेक्टर ने फरवरी में जबरदस्त तेजी दिखाई, जो पिछले छह महीनों में सबसे ज्यादा रही। HSBC के फ्लैश इंडिया कंपोजिट परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) के मुताबिक, यह उछाल खासतौर पर सर्विस सेक्टर की मजबूत परफॉर्मेंस के चलते देखने को मिला। S&P ग्लोबल द्वारा किए गए इस सर्वे के अनुसार, रोजगार के मोर्चे पर भी रिकॉर्ड बढ़ोतरी दर्ज की गई, जो देश की अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत है।
फरवरी में कंपोजिट PMI आउटपुट 60.6 पर पहुंच गया, जो जनवरी में 57.7 था। PMI इंडेक्स में 50 से ऊपर का स्तर विस्तार (expansion) को दर्शाता है। इस तेजी का मुख्य कारण सर्विस सेक्टर में आई मजबूती रही।
फरवरी में सर्विस सेक्टर का PMI 61.1 तक पहुंच गया, जो मार्च 2023 के बाद का सबसे ऊंचा स्तर है। जनवरी में यह 56.5 था। दूसरी ओर, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का PMI हल्की गिरावट के साथ 57.1 पर आ गया, जो जनवरी में 57.7 था। हालांकि, यह अब भी मजबूती के संकेत देता है।
सर्विस सेक्टर की ग्रोथ के पीछे नए बिजनेस ऑर्डर्स का बढ़ना अहम वजह रही। फरवरी में नए ऑर्डर्स छह महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गए। वहीं, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में भी नए ऑर्डर्स बढ़े, लेकिन इसकी रफ्तार जनवरी की तुलना में थोड़ी कम रही। इंटरनेशनल डिमांड दोनों ही सेक्टर्स में बढ़ी, हालांकि गति थोड़ी धीमी रही।
भारत की अर्थव्यवस्था के लिए यह मजबूती ऐसे समय में आई है जब वैश्विक स्तर पर अनिश्चितताएं बनी हुई हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की संभावित टैरिफ नीतियां ग्लोबल ट्रेड पर असर डाल सकती हैं, जिससे व्यापक व्यापार युद्ध छिड़ने की आशंका है। ऐसे में भारत के प्राइवेट सेक्टर में तेजी निवेशकों और कारोबारियों के लिए राहत भरी खबर है।
HSBC की चीफ इंडिया इकोनॉमिस्ट प्रांजुल भंडारी ने बताया कि नए एक्सपोर्ट ऑर्डर में मजबूती बनी हुई है। ऑर्डर और उत्पादन में तेजी के चलते कंपनियों का भविष्य को लेकर भरोसा बढ़ा है। इस दौरान इनपुट कॉस्ट घटी, जबकि आउटपुट प्राइस तेज रफ्तार से बढ़े, जिससे खासतौर पर मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों की मार्जिन बेहतर हुई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, फरवरी में रोजगार बढ़ने की गति अब तक के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई। यह 2005 के अंत में सर्वे शुरू होने के बाद सबसे तेज बढ़ोतरी मानी जा रही है। कंपनियां मजबूत डिमांड का फायदा उठाकर दाम बढ़ाने में सक्षम रहीं, हालांकि इस दौरान इनपुट लागत का दबाव कुछ हद तक कम हुआ। दिलचस्प बात यह रही कि अक्टूबर के बाद पहली बार आउटपुट चार्ज का इंडेक्स इनपुट कीमतों से ज्यादा हो गया। इस दौरान लागत का दबाव सर्विस सेक्टर में मैन्युफैक्चरिंग के मुकाबले ज्यादा दिखा।
फरवरी में कारोबारी धारणा (बिजनेस कॉन्फिडेंस) भी मजबूत हुई और यह जनवरी के मुकाबले ऊंचे स्तर पर पहुंच गई। नवंबर के बाद यह सबसे ज्यादा पॉजिटिव नजर आई। खासकर सर्विस सेक्टर को नए बिजनेस ऑर्डर का जबरदस्त फायदा मिला, जिससे यह छह महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। हालांकि, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में नए ऑर्डर बढ़े, लेकिन इसकी रफ्तार जनवरी के मुकाबले धीमी रही।
एक्सपोर्ट की बात करें तो इंटरनेशनल डिमांड में भी दोनों सेक्टर्स में वृद्धि देखी गई, लेकिन ग्रोथ की रफ्तार अलग-अलग रही। सर्विस सेक्टर में जहां मजबूत डिमांड बनी रही, वहीं मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में यह अपेक्षाकृत धीमी रही।