अर्थव्यवस्था

दवा उद्योग को स्व-नियामकीय संस्था की जरूरत­ : मांडविया

मांडविया ने कहा कि राज्य और केंद्रीय स्तरों पर संयुक्त निरीक्षकों वाली नियामकीय टीमें पहले ही बनाई जा चुकी हैं, जो पूरे भारत में आकलन एवं जांच कर रही हैं।

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सोहिनी दास   
Last Updated- June 23, 2023 | 10:47 PM IST

भारत में निर्मित दवाओं की वै​श्विक तौर पर जांच एवं सख्ती बढ़ी है। इसे ध्यान में रखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा है कि दवा उद्योग के लिए ऐसी स्व-नियामकीय संस्था बनाए जाने की योजना है जो निरंतर आधार पर हमारे उद्योग का आकलन करेगी।

मांडविया ने कहा कि राज्य और केंद्रीय स्तरों पर संयुक्त निरीक्षकों वाली नियामकीय टीमें पहले ही बनाई जा चुकी हैं, जो पूरे भारत में आकलन एवं जांच कर रही हैं। मांडविया ‘इंडियन फार्मास्यु​​टिकल अलायंस’ द्वारा आयोजित ‘8वें क्वालिटी फोरम’ में बोल रहे थे।

हालांकि मंत्री ने स्व-नियामकीय संस्था के ढांचे के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दी। उन्होंने कहा कि सरकार उद्योग-अनुकूल है, लेकिन हम किसी को हमारी गुणवत्ता से ​खिलवाड़ करने का मौका देना नहीं चाहेंगे।

मंत्री ने कहा कि 150 संयंत्रों की जांच पहले ही की जा चुकी है, जिनमें से 70 को कारण बताओ नोटिस जारी ​किए गए, और 18 को बंद करने के निर्देश जारी किए गए। नियामकीय अ​धिकारियों ने दवा संयंत्रों का जो​​खिम-आधारित ऑडिट शुरू किया है।

मांडविया ने कहा, ‘यदि किसी कंपनी के उत्पादों का खामियों से नाता रहा है, तो हम उनसे संबं​धित संयंत्रों की जांच कराएंगे। यदि किसी को मदद की जरूरत है तो उद्योग को क्षेत्रीय स्तर पर इन कंपनियों की मदद करनी चाहिए जिससे कि गुणवत्ता में सुधार लाया जाए। लेकिन यदि गुणवत्ता खराब बनी रहती है तो उन्हें परिचालन करने का अ​धिकार नहीं है।’

क्वालिटी फोरम से इतर पत्रकारों से बातचीत में मंत्री ने कहा कि कुछ खास नियामकीय अ​​धिकारियों से ​प्राप्त ​शिकायतों के आधार पर भारत ने क​थित खराब कफ सीरप के नमूनों की जांच की है।

उन्होंने जा​म्बिया घटनाक्रम (जिसमें 40 बच्चों के मरने की खबर आई थी) का जिक्र करते हुए कहा, ‘हमने गहनता से इस मामले का विश्लेषण करने की को​शिश की और पाया कि एक बच्चे को डायरिया की समस्या थी। लेकिन जांच से जुड़े 23 सभी सैम्पल में कमी नहीं पाई गई थी।’

अंतरराष्ट्रीय जगहों पर संयंत्र लगाने की जरूरत

मांडविया ने कहा कि कोविड-19 महामारी के बाद हरेक देश या उप-महाद्वीप में बड़ा बदलाव आया है और दवाओं की अपनी आपूर्ति सुनि​​श्चित करने की को​​शिश तेज हुई है। अब देश उन दवा कंपनियों पर नजर लगाए हुए हैं जो उनके क्षेत्रों में निर्माण संयंत्र लगा सकती हैं।

उन्होंने कहा, ‘भारतीय कंपनियों को यह अवसर गंवाना नहीं चाहिए। जहां हम निर्यात पर ध्यान दे सकते हैं, वहीं अन्य कंपनियां स्थानीय निर्माण संयंत्र लगाने की को​​शिश कर सकती हैं।’

First Published : June 23, 2023 | 10:47 PM IST