जून में भारत का कच्चे तेल का आयात गिरकर 9 माह के निचले स्तर पर पहुंच गया। कोरोनावायरस के प्रसार और उसे रोकने के लिए लगे प्रतिबंधों के कारण इसके पहले के दो महीनों में खपत कम रही और ज्यादा भंडारण को देखते हुए भारत के तेल शोधकों ने आयात में कटौती की है।
विश्व के तीसरे सबसे बड़े तेल आयातक और उपभोक्ता भारत ने करीब 39 लाख बैरल प्रतिदिन (बीपीडी) तेल का आयात पिछले महीने किया, जो मई की तुलना में करीब 7 प्रतिशत कम है। हालांकि कारोबारी सूत्रों से मिले टैंकरों की आवक की जानकारी के मुताबिक जून में आयात पिछले साल जून की तुलना में 22 प्रतिशत ज्यादा है।
चीन के बाद भारत तेल के आयात में एशिया का दूसरा प्रमुख आयातक है,जहां पिछले महीने कच्चे तेल के आयात में कमी आई है। भारतीय रिफाइनिंग के एक अधिकारी ने नाम न दिए जाने की शर्त पर कहा कि भारत में ईंधन की मांग में फरवरी और मार्च में तेजी आई और उस समय तेल शोधकों ने कच्चे तेल का प्रसंस्करण व आयात बढ़ा दिया।
बहरहाल अप्रैल और मई में ईंधन की मांग तेजी से गिरी क्योंकि सरकार ने कोरोनावायरस की दूसरी लहर को देखते हुए तमाम गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया। इसकी वजह से तेलशोधकों का भंडारण बढ़ गया। सूत्र ने कहा, ‘हमारे पास रिफाइंड ईंधन का पर्याप्त भंडार है, ऐसे में कच्चे तेल का आयात बढ़ाने की संभावना बहुत कम है।’ उन्होंने कहा कि निर्यात बाजार आकर्षक नहीं है क्योंकि मुनाफा बहुत कम है।
बहरहाल अप्रैल से जून के बीच भारत के कच्चे तेल का आयात 11.7 प्रतिशत बढ़कर 41 लाख बीपीडी हो गया क्योंकि लॉकडाउन का प्रतिबंध उतना नहीं था, जितना पिछले साल था। पिछले महीने ईराक, भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता था, जिसके बाद सऊदी अरब का स्थान है। संयुक्त अरब अमीरात चौथे स्थान पर पहुंच गया क्योंकि नाइजीरिया तीसरा बड़ा आपूर्तिकर्ता हो गया।
संयुक्त राज्य अमेरिका 5वें स्थान और कनाडा छठे पर है। पश्चिम एशिया से भारत में आने वाले लेत की हिस्सेदारी जून में बढ़कर 59 प्रतिशत हो गई, जो इसके पहले महीने में 53 प्रतिशत थी।