‘विवाद से विश्वास’ पर अफसरों को फटकार

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 14, 2022 | 8:30 PM IST

कर विवाद सुलझाने के लिए शुरू की गई ‘विवाद से विश्वास’ योजना से अब तक अपेक्षित सफलता नहीं मिली है। इससे नाराज होकर वित्त सचिव ए बी पांडेय और केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के चेयरमैन पी सी मोदी ने विवादित मामलों में कर खुलासे की रफ्तार सुस्त रहने के लिए कर अधिकारियों को फटकार  लगाई है। पिछले सप्ताह इन दोनों ने कर अधिकारियों के साथ बैठक की थी। इस बीच, विवाद से विश्वास योजना के तहत कर विवाद सुलझाने का समय बीतता जा रहा है और महज 3 सप्ताह ही शेष रह गए हैं।
बैठक में कहा गया कि जितनी तादाद में कर संग्रह होने की उम्मीद की जा रही थी प्राप्त आंकड़े उनका 10 प्रतिशत भी नहीं हैं, जबकि अंतिम कर भुगतान की स्थिति भी खस्ताहाल रही है। बैठक में अधिकारियों को विवाद से विश्वास योजना के तहत कर विवाद सुलझाने के लिए केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों से संपर्क साधने के लिए कहा गया। इस बारे में एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘कर अधिकारियों का दो टूक शब्दों में कहा गया कि जिन अधिकारियों का प्रदर्शन लचर रहेगा उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है, क्योंकि इस योजना पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारणम दोनों की नजरें हैं। अधिकारियों को उन मामलों में करदाताओं के साथ संवाद बनाए रखने के लिए कहा गया है, जिनमें अपील विचाराधीन हैं।’विवाद से विश्वास योजना की घोषणा चालू वित्त वर्ष के लिए पेश बजट में की गई थी। इस योजना के तहत 31 जनवरी 2020 तक लंबित कर विवाद सुलझाने पर ब्याज, जुर्माने और कार्रवाई से राहत का प्रावधान है। योजना के तहत 31 दिसंबर 2020 तक कर दाखिल किए जाने हैं, लेकिन सरकार ने कोविड-19 महामारी के मद्देनजर भुगतान की अंतिम समय सीमा बढ़ाकर 31 मार्च 2021 तक कर दी थी।
सीबीडीटी चेयरमैन इस मामले पर हरेक शुक्रवार को साप्ताहिक समीक्षा करेंगे और सभी कर फॉर्म की रोजाना रिपोर्ट सीबीडीटी को भेजी जाएगी। सरकार के अनुमानों के अनुसार फिलहाल 4 लाख ऐसे मामले हैं, जो विवाद से विश्वास योजना के तहत लाभ लेने के पात्र हैं। ये सभी कर मामले 9.3 लाख करोड़ रुपये के हैं। सरकार ने 17 नवंबर तक इस योजना के तहत 72,480 करोड़ रुपये ही मिले थे। 17 नवंबर तक योजना के तहत 31,734 करोड़ रुपये के कुल 45,855 कर संबंधी खुलासे किए गए थे। जहां तक केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों की बात है तो इस योजना के तहत 1 लाख करोड़ रुपये के कर विवाद निपटाए जा रहे हैं।
अधिकारी ने कहा, ‘कर विभाग में कर आयुक्तों को उन सार्वजनिक  उपक्रमों की सूची सौंपने के लिए कहा गया है, जिनका योजना के प्रति रवैया सहयोगात्मक नहीं रहा है।’ हालांकि अधिकारी नेक हा कि इन उपक्रमों के साथ जुड़े ज्यादातर मामलों में पूरा कर भुगतान करने के लिए कहा गया है। अधिकारी के अनुसार मुकदमा जीतने पर उन्हें रकम वापस की जा सकती है।

First Published : December 7, 2020 | 10:57 PM IST