केंद्र के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजीकरण चल रहा है। इस बीच 15वें वित्त आयोग के चेयरमैन एनके सिंह ने आज कहा है कि बिक्री और विनिवेश से प्रतिस्पर्धा के सिद्धांत विकृत नहीं होंगे। उन्होंने प्रतिस्पर्धा अधिनियमन को मजबूत करने और नियामक के रूप में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग की भूमिका बढ़ाने पर जोर दिया।
उन्होंने आर्थिक ढांचे के लिए प्रतिस्पर्धा नीति को अहम बताया और कहा कि बाजार अपूर्ण हैं। उन्होंने कहा, ‘संभवत: व्यापक नियामक या ज्यादा ताकतवर सेक्टर नियामक उचित न हो, लेकिन प्रतिस्पर्धा का क्या होगा, जो अहम है? इस मामले में अंतिम निर्णायक कौन होगा?’
प्रतिस्पर्धा कानून की अर्थव्यवस्था पर आयोजित छठे राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए सिंह ने यह कहा। सिंह ने कहा कि विनिवेश और निजीकरण के कार्यक्रम से मूल्यवान वित्तीय संसाधन मुक्त होंगे, सरकार को राजकोषीय सहारा मिलेगा जिससे वह प्राथमिकता वाले पूंजीगत व्यय भौतिक और सामाजिक बुनियादी ढांचे पर कर सकेगी और साथ ही प्रतिस्पर्धा भी बढ़ा सकेगी।
उन्होंने यह भी कहा कि बाजार का दबदबा सुनिश्चित करने से प्रतिस्पर्धा आयोग के समक्ष चुनौतियां बढ़ेंगी। महज कुछ कंपनियों द्वारा दबाव वाली संपत्तियों के अधिग्रहण के मसले पर सिंह ने कहा कि इसके लिए समन्वित तरीकेकी जरूरत है।
