मूडीज रेटिंग्स ने गुरुवार को कैलेंडर वर्ष 2024 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद की अनुमानित वृद्धि दर को बढ़ाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया है जबकि पहले यह अनुमान 6.8 प्रतिशत का था। मूडीज ने व्यापक आधार पर अर्थव्यवस्था में सुधार और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के फिर मजबूत होने की आस से भारत की रेटिंग में इजाफा किया है।
दूसरी तरफ, रेटिंग एजेंसी फिच ने भारत की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग को स्थिर परिदृश्य के साथ ‘बीबीबी-’ पर बरकरार रखा है। फिच ने भारत की मध्यम अवधि की वृद्धि के नजरिये और ठोस बाह्य वित्तीय स्थिति के कारण यह रेटिंग कायम रखी है।
मूडीज रेटिंग्स ने कैलेंडर वर्ष 2025 के लिए भी जीडीपी वृदि्ध के पूर्व अनुमान 6.4 प्रतिशत को बढ़ाकर 6.6 प्रतिशत कर दिया है। मूडीज ने बीते वर्ष की तुलना में वृद्धि में कुछ सुधार होने का अनुमान जताया है। मू़डीज रेटिंग्स ने कहा, ‘भारत के मध्यम अवधि और दीर्घावधि में वृद्धि की संभावनाएं इस पर निर्भर करती हैं कि देश कैसे अपने भारी श्रमबल का उत्पादकता में इस्तेमाल करता है।’ इस दौरान यह भी जिक्र किया गया कि भारत की जनसंख्या की औसत आयु 28 वर्ष है और उसकी दो तिहाई आबादी कार्यशील आयु की है।
मूडीज रेटिंग्स ने बताया कि व्यापक आर्थिक परिप्रेक्ष्य में भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत वृद्धि और मध्यम स्तर की महंगाई के बलबूते अच्छी स्थिति में है। मूडीज रेटिंग्स ने कहा, ‘यदि चक्रीय बदलाव कायम रहता है तो हम विशेष तौर पर निजी खपत और मुनाफा बढ़ने के कारण और बेहतर अनुमान की संभावनाओं को समझते हैं।’
एजेंसी ने कहा कि उसे ग्रामीण मांग फिर से बढ़ने के संकेत मिले हैं। मॉनसून के मौसम में सामान्य से अधिक बारिश होने के कारण कृषि उत्पादकता बढ़ने की आस से स्थितियां सुधरने की संभावनाएं जताई गई हैं। मूडीज रेटिंग्स ने बताया कि क्षमता की उपयोगिता बढ़ने, उत्साहित व्यापारिक मनोदशा और सरकार के लगातार आधारभूत ढांचे पर खर्च बढ़ाने पर जोर दिए जाने के कारण पूंजीगत व्यय चक्र बढ़ना चाहिए।
एजेंसी ने यह भी इंगित किया कि बीते दशक में विनिर्माण क्षेत्र में सीमित प्रगति हुई है। लेकिन घरेलू परिचालन वातावरण में अंतर्निहित सुधार और व्यापक वैश्विक रुझानों से भारत के विनिर्माण क्षेत्र के लिए भविष्य की संभावनाओं में सुधार हुआ है।
फिच रेटिंग्स ने अपनी रिपोर्ट में इंगित किया कि चुनाव के परिणामों ने व्यापक रूप से सुधार जारी रहने का संकेत दिया है लेकिन गठबंधन की राजनीति के कारण सरकार के सुधार करने की क्षमता पर असर पड़ने की आशंका है।
फिच रेटिंग्स ने बताया, ‘आधारभूत ढांचे, डिजिटलाइजेशन और कारोबारी सुगमता के तरीकों के ईद-गिर्द केंद्रित नीति के जारी रहने से वृद्धि को बढ़ावा मिलता है। हालांकि गठबंधन सरकार और अपेक्षाकृत कमजोर जनादेश मिलने के कारण सरकार की प्रमुख आर्थिक सुधार जारी करने की क्षमता सीमित हो जा सकती है और इससे संभावित वृद्धि सीमित होगी।’
एजेंसी ने कहा कि भारत के राजकोषीय मजबूती के प्रयास अनुमान की तुलना में कहीं अधिक तेजी से बढ़े हैं। राजकोषीय मजबूती प्रयासों में रुकावट या आर्थिक झटके जिनके कारण मध्यम अवधि में सरकारी ऋण से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) अनुपात में उल्लेखनीय वृद्धि हो जाती है, ऐसे कारकों में से हैं जो रेटिंग में गिरावट का कारण बन सकते हैं।
फिच रेटिंग्स ने वृद्धि के सिलसिले में कहा कि भारत सबसे तेजी से बढ़ती वैश्विक अर्थव्यवस्था बना हुआ है। भारत का सकल घरेलू उत्पाद मौजूदा वित्तीय वर्ष में 7.2 प्रतिशत की दर से और वित्त वर्ष 26 में 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ सकता है।
फिच ने कहा कि सार्वजनिक आधारभूत ढांचे पर पूंजीगत व्यय वृद्धि को इजाफा देने वाली प्रमुख कारक है। इससे खर्च की गुणवत्ता भी बेहतर हुई है और वितीय समेकन के दबाव को कम करने में मदद मिल सकती है।