बीएस बातचीत
कई विशेषज्ञों ने उद्यम-आधारित सर्वेक्षण के तथ्यों पर सवाल उठाए हैं। हालांकि उद्यम-आधारित रोजगार सर्वेक्षण करने में सरकार को तकनीकी सलाह देने वाले विशेषज्ञ समूह के चेयरमैन एस पी मुखर्जी का कहना है कि इन आंकड़ों की गलत व्याख्या हो रही है। इंदिवजल धस्माना ने उनसे इस सर्वेक्षण से जुड़े पहलुओं पर बात की। पेश हैं संपादित अंश:
अगर इस सर्वेक्षण की तुलना जुलाई-सितंबर, 2017 तिमाही के सर्वेक्षण से की गई होती तो विश्वसनीयता अधिक होती। हमने ऐसा क्यों नहीं किया?
तुलना करने के लिए हमें कुछ वर्ष पहले के आंकड़ों को खंगालना पड़ता। हां, अगर 2013-14 की आर्थिक गणना के बजाय पिछले चरण के सर्वेक्षण से तुलना की जाती तो हमें अतीत में बहुत अधिक झांकने की जरूरत नहीं थी। जुलाई-सितंबर 2917 तिमाही के सर्वेक्षण को भी कुल मिलाकर 4 वर्ष बीत चुके हैं। एक दूसरी अहम बात यह है कि पिछले सर्वेक्षण में आठ क्षेत्रों का आकलन किया गया था मगर नए सर्वेक्षण में 9 क्षेत्रों पर विचार किया गया है। पुराने सर्वेक्षण का नमूना छोटा था और कुछ प्रतिष्ठान इसकी जद से बाहर थे। तीसरी और सबसे अहम बात यह है कि पहले हुए सर्वेक्षण में अनुमान लगाने की विधि थोड़ी अलग थी। इन कारणाों से पिछले सर्वेक्षण से तुलना करना मेरी समझ से उचित नहीं था।
मगर एक सर्वेक्षण की तुलना किसी गणना के साथ कैसे की जा सकती है?
किसी नमूना सर्वेक्षण का आकलन कुल आंकड़ों के लिए दिए गए अनुमान के संदर्भ में किया जाना चाहिए। नमूना सर्वेक्षण के अनुमान अगर कुल आंकड़ों के इर्द-गिर्द नहीं रहते हैं तो इसे एक बेहतर सर्वेक्षण नहीं माना जा सकता। इस तिमाही में मैं कुल आंकड़ों का अनुमान नहीं दे सकता था क्योंकि इसके लिए मुझे उस हिसाब से गणना करनी होगी। इस लिहाज से आप जो कह रहे हैं वह पूरी तरह गलत नहीं है मगर इसे पूर्णतया सही भी नहीं कहा जा सकता। अगर मुझे सर्वेक्षण और एक गणना के आंकड़ों के बीच तुलना करनी है तो सिद्धांत रूप में ये एक ही अवधि के लिए होना चाहिए। मैं आपकी इस बात से सहमत हूं तुलना निकटतम अवधि के साथ होना चाहिए मगर इसके लिए आवश्यक तथ्य उपलब्ध नहीं थे।
हम प्रतिष्ठान आधारित सर्वे की स्थिति में कब तक होंगे क्योंकि अगले सर्वेक्षण में असंगठित क्षेत्र भी शामिल होंगे?
नहीं, सर्वेक्षण में असंगठित क्षेत्र को शामिल करने में थोड़ा समय लगेगा। चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून की अवधि की तुलना जुलाई-सितंबर अवधि के साथ करना सटीक रहेगा।
कई अर्थशास्त्रियों के गले यह बात नहीं उतर रही है कि विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार सृजन हुआ है?
रोजगार सृजन का तो सवाल ही नहीं है। जो आंकड़े दिए गए हैं वे किसी खास क्षेत्र में उपलब्ध रोजगार के हैं ना कि किसी खास अवधि में पैदा हुए हैं। ये आंकड़े 1 अप्रैल 2021 तक विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार के आंकड़े हैं। 2014-14 की आर्थिक गणना के आंकड़ों के मुकाबले ये अधिक हैं।