अमेरिका द्वारा व्यापार में भागीदार देशों पर बराबरी का शुल्क लागू किए जाने से एक सप्ताह पहले वित्त मंत्रालय ने कहा है कि भू-राजनीतिक तनाव, व्यापार नीति में अनिश्चितता और अंतरराष्ट्रीय बाजार में जिंसों के दाम और वित्तीय बाजार में अस्थिरता अगले साल भारत और वैश्विक आर्थिक विकास के लिए बड़ा जोखिम हैं। वित्त मंत्रालय की फरवरी के लिए मासिक आर्थिक समीक्षा आज जारी की गई। इसमें आगाह किया गया है कि भारत को विदेश में व्याप्त निराशावाद के प्रति सतर्क रहना चाहिए।
समीक्षा में कहा गया है, ‘यदि निजी क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती और इसके स्थिर विकास परिदृश्य पर भरोसा करते हुए निवेश करता है तो इससे वृद्धि के जोखिमों पर काफी हद तक काबू पाया जा सकेगा।’ वित्त मंत्रालय ने इस बात पर जोर दिया है कि उद्योग जगत को अपने निवेश व्यय और उपभोग मांग के सह-संबंध को पहचानना चाहिए। मंत्रालय को उम्मीद है कि व्यक्तिगत आयकर में राहत से मध्य वर्ग के पास खर्च के लिए अधिक पैसा बचेगा और खपत मांग बढ़ सकती है। निजी क्षेत्र को इन कदमों से संकेत लेना चाहिए और क्षमता विस्तार की दिशा में निवेश करना शुरू करना चाहिए।
वित्त मंत्रालय ने कहा कि कृषि पैदावार के अनुमान के आंकड़े खाद्य मुद्रास्फीति के लिहाज से सकारात्मक संकेत देते हैं। समीक्षा में कहा गया है कि खाद्य पदार्थों की कीमतों में हाल ही में आई नरमी के कारण फरवरी 2025 में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर 3.6 फीसदी रह गई। वित्त मंत्रालय ने चालू वित्त वर्ष में 6.5 फीसदी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर का अनुमान लगाया है, जिसके हासिल होने की उम्मीद है। वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर 5.6 फीसदी रही थी मगर तीसरी तिमाही में यह बढ़कर 6.2 फीसदी हो गई थी।
मंत्रालय की मासिक समीक्षा में कहा गया है, ‘जिसों के दाम का परिदृश्य सकारात्मक है। वित्त वर्ष 2026 में आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने में भारत की मजबूत बुनियाद और आर्थिक संभावनाओं पर केंद्रित घरेलू निजी पूंजी निर्माण की अहम भूमिका होगी।’ समीक्षा में कहा गया है कि आपूर्ति पक्ष में कृषि और सेवा क्षेत्र के मजबूत प्रदर्शन और मांग पक्ष में खपत और वस्तुओं एवं सेवाओं के निर्यात में लगातार वृद्धि से तीसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि को
बल मिला।
राजकोषीय घाटे और अन्य मापदंडों पर वित्त मंत्रालय की समीक्षा में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2025 के लिए उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार वास्तविक घाटे, महत्त्वपूर्ण अनुपात और आवश्यक व्यय का बजट अनुमान में तालमेल है जो राजकोषीय लक्ष्य की दिशा में निरंतर प्रतिबद्धता को दर्शाता है। बजट में दीर्घकालिक विकास को गति देने के उपायों और सुधारों पर ध्यान दिया गया है जो विकसित भारत की महत्त्वाकांक्षा के इर्द-गिर्द है। यह वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच घरेलू आर्थिक मजबूती को लेकर भरोसे को बढ़ाता है।
2025-26 के बजट में केंद्र सरकार के कर्ज को कम करने की घोषणा की गई है, जिसमें अनुमान लगाया गया है कि 2024-25 से 2030-31 तक 6 वर्ष की अवधि में केंद्र सरकार का कर्ज कम से कम 5.1 फीसदी तक कम हो जाएगा। मासिक समीक्षा में कहा गया है कि वर्तमान श्रम बाजार की स्थितियां स्थिर हैं तथा कई रोजगार सर्वेक्षणों से आगामी तिमाही में नियुक्ति प्रक्रियाओं में तेजी आने का संकेत मिलता है।