अर्थव्यवस्था

सितंबर तिमाही में 26.6 प्रतिशत बढ़ा भारत का सर्विस ट्रेड सरप्लस, सेवा निर्यात बढ़ने से हुआ इजाफा

कुल वस्तुओं और सेवाओं को मिलाकर भारत का शुद्ध निर्यात या आयात और निर्यात के बीच का अंतर वित्त वर्ष 24 की पहली छमाही में 40.5 अरब डॉलर रहा है।

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असित रंजन मिश्र   
Last Updated- November 01, 2023 | 9:54 PM IST

भारत के सेवा कारोबार अधिशेष ने वित्त वर्ष 2023-24 की सितंबर तिमाही में एक बार फिर वापसी की है, जो जून तिमाही में गिरकर 3 तिमाहियों के निचले स्तर पर आ गया था। भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों से पता चलता है कि सितंबर तिमाही में इसमें 26.6 प्रतिशत वृद्धि हुई है।

सितंबर तिमाही में सेवाओं का निर्यात बढ़कर 83.4 अरब पर पहुंच गया, जबकि सेवाओं का आयात घटकर 43.4 अरब डॉलर रहा है। इसकी वजह से सेवा कारोबार अधिशेष 40 अरब डॉलर हो गया है। सेवाओं के निर्यात का स्तर जहां पिछले साल की समान अवधि के स्तर पर बना हुआ है, वहीं सेवाओं का आयात 6 महीने के निचले स्तर पर रहा है।

वित्त वर्ष 24 की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) के दौरान सेवाओं का निर्यात 5.1 प्रतिशत बढ़कर 164 अरब डॉलर हो गया, जबकि सेवाओं का आयात 1.9 प्रतिशत घटकर 88.9 अरब डॉलर रहा था। इससे सेवा व्यापार अधिशेष 14.7 प्रतिशत बढ़कर 75.1 अरब डॉलर हो गया।

इसके विपरीत वित्त वर्ष 24 की पहली छमाही में वाणिज्यिक वस्तुओं का निर्यात 8.8 प्रतिशत संकुचित होकर 211.4 अरब डॉलर रह गया है, जबकि वाणिज्यिक वस्तुओं काआयात 12.2 प्रतिशत घटकर 327 अरब डॉलर हो गया है और व्यापार घाटा 115.6 अरब डॉलर रहा है।

कुल वस्तुओं और सेवाओं को मिलाकर भारत का शुद्ध निर्यात या आयात और निर्यात के बीच का अंतर वित्त वर्ष 24 की पहली छमाही में 40.5 अरब डॉलर रहा है, जो पिछले साल की समान अवधि में 75.3 अरब डॉलर था।

शुद्ध निर्यात को चालू खाते के घाटे (सीएडी) का प्रतिरूप माना जाता है। रिजर्व बैंक द्वारा तिमाही आधार पर जारी सीएडी के आंकड़ों में निजी हस्तांतरण प्राप्तियों का भी असर होता है।

First Published : November 1, 2023 | 9:54 PM IST