अर्थव्यवस्था

ईरान में रुपये का भंडार घटने से भारत के निर्यात में गिरावट, शिपमेंट में आई 44 प्रतिशत की कमी

रूस-यूक्रेन युद्ध और इजरायल-हमास के बीच टकराव के बीच पश्चिम एशियाई देश ईरान रूस और हमास के समर्थन में है और इन भू-राजनीतिक वजहों का असर पड़ रहा है।

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श्रेया नंदी   
Last Updated- January 01, 2024 | 10:07 PM IST

पश्चिम एशिया के देश ईरान में रुपये के भंडार में कमी के कारण भारत से ईरान को होने वाला निर्यात पिछले एक साल से कम हो रहा है।

इस मामले के जानकारों का कहना है कि अगर आगे की स्थिति देखें तो ईरान को निर्यात बढ़ाना भारत के लिए संभवतः आसान नहीं है, क्योंकि रूस-यूक्रेन युद्ध और उसके बाद इजरायल-हमास के बीच टकराव के बीच पश्चिम एशियाई देश रूस और हमास के समर्थन में है और इन भू-राजनीतिक वजहों का असर पड़ रहा है।

पिछले साल नवंबर से ईरान को होने वाले निर्यात में कमी आ रही है। कैलेंडर वर्ष 2023 के दौरान ईरान भेजी जाने वाली शिपमेंट में 44 प्रतिशत कमी आई है और जनवरी-अक्टूबर के दौरान यह घटकर 88.8 करोड़ डॉलर हो गया। यह गिरावट बासमती चावल, उच्च गुणवत्ता की चाय व अन्य खाद्य वस्तुओं जैसे चीनी, ताजे फल और बोनलेस बोवाइन मीट के निर्यात में आई है।

कैलेंडर वर्ष 2023 के पहले 10 महीने में बासमती चावल का निर्यात 42 प्रतिशत घटकर 55.3 करोड़ डॉलर रह गया है। भारत से ईरान को होने वाले कुल निर्यात में सुगंधित लंबे चावल की हिस्सेदारी करीब 62 प्रतिशत है, जिसे देखते हुए यह भारी गिरावट है। इसके अलावा वित्त वर्ष 23 में भारत के कुल चावल निर्यात का पांचवां हिस्सा ईरान को भेजा गया था।

निर्यातकों का कहना है कि इसमें प्रमुख चुनौती रुपये के भंडार में आई कमी है, क्योंकि अमेरिका द्वारा ईरान पर प्रतिबंध लगाने से भारत ने ईरान से तेल खरीदना बंद कर दिया है। भारत का ईरान के साथ व्यापार अब मुख्य रूप से उन वस्तुओं का हो रहा है, जिन पर प्रतिबंध नहीं है। ऐसे में पश्चिम एशियाई देश ईरान के आयात की क्षमता में कमी आई है।

फेडरेशन आफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) के महानिदेशक और मुख्य कार्याधिकारी अजय सहाय ने कहा, ‘हमें यह देखने की जरूरत है कि किस तरह से गैर प्रतिबंधित सामान जैसे दवा, कृषि उत्पाद का निर्यात ईरान को किया जा सकता है। भारत को ईरान के साथ इन वस्तुओं के कारोबार पर ध्यान देने की जरूरत है।’

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘करीब 17-18 महीने पहले भारत को उम्मीद थी कि ईरान का अमेरिका के साथ समझौता हो जाएगा और प्रतिबंध हटा लिए जाएंगे। यह भारत के पक्ष में होता क्योंकि भारत और ईरान की अर्थव्यवस्थाओं में बहुत कुछ एक दूसरे की पूरक हैं। अगर उन्हें तेल निर्यात की अनुमति दी जाए तो हमारा निर्यात कई गुना बढ़ जाएगा।’

अधिकारी ने कहा, ‘बहरहाल जब रूस और यूक्रेन के बीच लड़ाई शुरू हुई तो ईरान ने रूस का समर्थन शुरू कर दिया। इसकी वजह से मामला और बिगड़ गया।’

जनवरी से अक्टूबर के दौरान भारत और ईरान के बीच द्विपक्षीय कारोबार 1.4 अरब डॉलर रहा है, जिसमें 88.8 करोड़ डॉलर का निर्यात हुआ है।

First Published : January 1, 2024 | 10:07 PM IST