भारत का चालू खाते घाटा दिसंबर 2021 को समाप्त तीसरी तिमाही (वित्त वर्ष 22 की तीसरी तिमाही) में बढ़कर 23 अरब डॉलर हो गया है। यह देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 2.7 प्रतिशत है और इसे विदेश व्यापार में बढ़ोतरी का पता चलता है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने एक बयान में कहा है कि सितंबर 2021 की समाप्त तिमाही (वित्त वर्ष 22 की तीसरी तिमाही) चालू खाते का घाटा 9.9 अरब डॉलर (जीडीपी का 1.3 प्रतिशत) और एक साल पहले (वित्त वर्ष 21 की तीसरी तिमाही में) 2.2 अरब डॉलर (जीडीपी का 0.3 प्रतिशत) था।
रिजर्व बैंक ने कहा है कि तीसरी तिमाही में सीएडी ज्यादा होने की मुख्य वजह ज्यादा व्यापार घाटा है। वित्त वर्ष 22 की तीसरी तिमाही में व्यापार घाटा बढ़कर 60.4 अरब डॉलर हो गया, जो अक्टूबर-दिसंबर 2020 (वित्त वर्ष 21 की तीसरी तिमाही) में 34.6 अरब डॉलर था।
इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि वित्त वर्ष 2022 की तीसरी तिमाही में चालू खाते का घाटा बढ़ा है, लेकिन यह हमारे 24 से 28 अरब डॉलर के उम्मीद के निचले स्तर पर रहा है, जो वस्तुओं, सेवाओं और द्वितीयक आमदनी का उम्मीद से बेहतर परिणाम होने की वजह से हुआ है।
अप्रैल-दिसंबर 2021 में भारत का सीएडी जीडीपी का 1.2 प्रतिशत था, जबकि अप्रैल-दिसंबर 2020 में 1.7 प्रतिशत अधिशेष था। नायर ने कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि चालू खाते का घाटा वित्त वर्ष 2022 की चौथी तिमाही में कुछ कम होगा और यह 17 से 21 अरब डॉलर के बीच रहेगा, क्योंकि तीसरी लहर ने अस्थाई रूप से कुछ आयातों को कम किया है।’
रिजर्व बैंक ने कहा कि शुद्ध सेवा प्राप्तियां बढ़ी हैं। यह पिछले महीने और पिछले साल की समान अवधि दोनों हिसाब से बढ़ी हैं। कंप्यूटर और बिजनेस सर्विसेज के शुद्ध निर्यात के जोरदार प्रदर्शन के कारण ऐसा हुआ है।