भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौता (बीटीए) वार्ता महत्त्वपूर्ण चरण में पहुंच गई है। घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने बताया कि बेहद संवेदनशील कृषि क्षेत्र से जुड़े मुद्दों पर केंद्र सरकार के और कड़ा रुख अपनाने के कारण स्थितियां बदलती दिख रही हैं। हालांकि, यदि दोनों पक्षों के बीच बातचीत विफल रही तो भारत को 9 जुलाई के बाद अमेरिका की ओर से लगाए जाने वाले 26 प्रतिशत जवाबी शुल्क का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा।
एक सूत्र ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘यदि अमेरिका के साथ बीटीए पर बातचीत विफल रही तो वह भारत पर 9 जुलाई के बाद 26 प्रतिशत जवाबी शुल्क लगाएगा। अमेरिका अन्य देशों के साथ भी समझौते करने की प्रक्रिया में है। यदि अन्य देशों के साथ बातचीत सफल रही तो भारत (तुलनात्मक रूप से) शुल्क संबंधी लाभ से वंचित हो सकता है।’
मुख्य वार्ताकार और वाणिज्य विभाग के विशेष सचिव राजेश अग्रवाल के नेतृत्व में भारत का एक व्यापार प्रतिनिधिमंडल द्विपक्षीय व्यापार समझौते को अंजाम तक पहुंचाने के मकसद से आगे की बातचीत करने के लिए पिछले हफ्ते के अंत से वाशिंगटन में है। यह बातचीत अगले दो से तीन दिन तक चलने की संभावना है।
दोनों देशों के बीच चल रही सीधी बातचीत बेहद महत्त्वपूर्ण मोड़ पर है, क्योंकि अमेरिका द्वारा कई देशों पर जवाबी शुल्क लगाने की 90 दिन की समय-सीमा 9 जुलाई को पूरी हो रही है और यह तारीख अब बेहद करीब आ गई है। दोनों पक्ष व्यापक व्यापार समझौते यानी द्विपक्षीय व्यापार समझौते ( बीटीए) के शुरुआती चरण या पहले हिस्से को अंतिम रूप देने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं, जिसकी घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने इसी साल फरवरी में की थी।
ट्रंप प्रशासन ने इसी साल 2 अप्रैल को भारत सहित कई देशों पर 26 प्रतिशत जवाबी शुल्क लगाने की घोषणा की थी। इसके बाद उसने व्यापार समझौते पर बातचीत करने के लिए उन तमाम शुल्कों पर 90 दिनों की मोहलत देने का ऐलान भी किया था। हालांकि इन तमाम देशों पर समान रूप से लगने वाला 10 प्रतिशत बुनियादी शुल्क बरकरार रखा था।
उसके बाद से ही भारत जवाबी शुल्क से बचने और कपड़े व चमड़े जैसे गहन श्रम आधारित उत्पाद पर कम आयात शुल्क के लिए कड़ी सौदेबाजी कर रहा है। अमेरिका की प्राथमिकता भारत को कृषि क्षेत्र पर शुल्क कम करने के लिए राजी करना है। यही दोनों देशों के बीच विवाद की जड़ बना हुआ है।
सूत्र ने कहा, ‘हम (भारत) कृषि सहित कुछ मुद्दों पर अपने रुख पर कायम हैं।’
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी कहा है कि कृषि और डेरी अमेरिका के साथ चल रही बातचीत में भारत के लिए बड़ी ‘रेड लाइन्स’ हैं।
दूसरी ओर, गुरुवार को व्हाइट हाउस में एक कार्यक्रम में ट्रंप ने कहा, ‘हमने अभी चीन के साथ (एक ट्रेड डील) साइन की है। हम हर किसी के साथ डील नहीं करने जा रहे, लेकिन हमारी कुछ बेहतरीन डील होने वाली हैं।’