विशेषज्ञों का कहना है कि भारत अपने कारोबारी साझेदारों के साथ मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) की रणनीति बदल रहा है, लेकिन विवादास्पद मसलों का समाधान मुश्किल होगा। यूरोपीय संघ (ईयू), कनाडा, खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) देशों और इजरायल के साथ कारोबारी समझौतों पर बातचीत चल रही है, वहीं ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन जैसे देशों के साथ भारत जल्द परिणाम देने वाले समझौतों पर नजर बनाए हुए है।
विशेषज्ञों का कहना है कि किसी कारोबारी समझौते पर बातचीत में शुल्क में कमी किया जाना महत्त्वपूर्ण है। इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च आन इंटरनैशनल इकोनॉमिक रिलेशंस (इक्रियर) में प्रोफेसर अर्पिता मुखर्जी ने कहा, ‘अगर हम मजबूत कारोबारी समझौता चाहते हैं, जो हमारे उद्योग के लिए वास्तव में लाभदायक हो, तो हमें पूरी तरह तैयार होना चाहिए कि हम अपने कारोबारी साझेदार के साथ क्या चाहते हैं और हम उन्हें बदले में क्या देना चाहते हैं। हमने जितना पहले दिया है, उसकी तुलना में अगर हम ज्यादा नहीं दे सकते हैं तो हम समझौते पर हस्ताक्षर नहीं कर सकते।’
मुखर्जी ने कहा कि अगर व्यापार समझौता आगे बढ़ाना है तो भारत उन क्षेत्रों में चर्चा नए सिरे से नहीं शुरू कर सकता है, जहां सहमति बन गई है। उन्होंने कहा, ‘यूरोपीय संघ का मामला लेते हैं। अगर भारत और ईयू ने 2013 में 70 प्रतिशत से ज्यादा टैरिफ लाइन पर सहमति बना ली थी तो बेहतर है कि उसे न छुआ जाए। उन क्षेत्रों पर चर्चा की जाए, जहां मतभेद हैं। यही एक तरीका है, जिससे हम समझौते की ओर तेजी से आगे बढ़ सकते हैं।’ गुरुवार को वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि भारत इस समय ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, बांग्लादेश, ईयू, जीसीसी देशों और इजरायल के साथ व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करने की दिशा में सही राह पर है।
इसके पहले ऑस्ट्रेलिया और ईयू से समझौता रुक गया था, क्योंकि विभिन्न मसलों पर मतभेद के कारण सहमति नहीं बन पाई। जहां तक ब्रिटेन का सवाल है, सरकारी अधिकारियों का कहना है कि ईयू से निकलने के बाद बातचीत के लिए शुरुआती काम कर लिया गया है।
चीन समर्थित व्यापार समूह क्षेत्रीय समग्र आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) से बाहर निकलने के बाद भारत का जोर तेजी से कारोबारी समझौते करने पर है। आरसीईपी विश्व का सबसे बड़ा मुक्त व्यापार समूह है। पिछले कुछ महीनों से भारत का निर्यात बढ़ रहा है। वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि इसके बावजूद इस तरह के समझौते पर हस्ताक्षर अहम है।
फेडरेशन आफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) के महानिदेशक (डीजी) और मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) अजय सहाय ने कहा, ‘भारत के निर्यात के हिसाब से ये बाजार बहुत अहम हैं, खासकर रोजगार केंद्रित क्षेत्रों के लिए। पीएलआई (प्रदर्शन से जुड़े प्रोत्साहन) योजना के तहत निवेश आकर्षित करने में भी एफटीए सहायक होंगे, क्योंकि हम चाहते हैं कि भारत एक वैश्विक केंद्र के रूप में विकसित हो।’ सरकार विभिन्न देशों के साथ व्यापारिक वार्ता को गति देने पर जोर दे रही है, जिससे साफ सुथरा और संतुलित समझौता हो और इसमें पिछली गलतियां न दोहराई जाएं।