अर्थव्यवस्था

भारत में FDI सालाना आधार पर 21% घटा, अप्रैल-जून में $4.9 अरब का निवेश; Q1 में निकासी ने बढ़ाई मुश्किल

आरबीआई आंकड़ों के अनुसार पहली तिमाही में भारत का शुद्ध एफडीआई 21 प्रतिशत घटा, जबकि सकल आवक बढ़ी और अमेरिका, साइप्रस व सिंगापुर से सबसे ज्यादा निवेश आया

Published by
अभिजित लेले   
Last Updated- August 29, 2025 | 9:55 PM IST

भारत में शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून 2025) में सालाना आधार पर 21.1 प्रतिशत घटकर 4.91 अरब डॉलर हो गया है, जो अप्रैल-जून 2024 के दौरान 6.22 अरब डॉलर था। शुद्ध एफडीआई देश में सकल आवक और सकल निकासी का अंतर होता है। रिजर्व बैंक के आंकड़ों से पता चलता है कि देश से ज्यादा धन निकासी और विनिवेश के कारण ऐसा हुआ है। 

 वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में सकल एफडीआई 25.17 अरब डॉलर था, जो एक साल पहले की समान अवधि के 22.77 अरब डॉलर की तुलना में ज्यादा है। सकल एफडीआई अधिक होने से संकेत मिलता है कि भारत निवेश का आकर्षक केंद्र बना हुआ है। 

अप्रैल-जून 2025 के दौरा विदेश में धन लगाए में तेज वृद्धि हुई और आउटवार्ड एफडीआई बढ़कर 7.87 अरब डॉलर हो गया, जो पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 4.38 अरब डॉलर था। विदेश में एफडीआई के आंकड़ों से भारतीय इकाइयों द्वारा विदेश में लगाए जा रहे धन का पता चलता है। 

प्रत्यावर्तन/विनिवेश पिछले वर्ष की इसी अवधि के 12.17 अरब डॉलर से बढ़कर 12.38 अरब डॉलर हो गया। रिजर्व बैंक का कहना है कि प्रत्यावर्तन में वृद्धि एक परिपक्व बाजार का संकेत है जहां विदेशी निवेशक आसानी से प्रवेश करते हैं और निकासी कर सकते हैं।

जून 2025 में शुद्ध एफडीआई घटकर आधे से कम 1.07 अरब डॉलर रह गया है, जो जून 2024 में 2.24 अरब डॉलर था। सकल प्रत्यक्ष निवेश 9.26 अरब डॉलर रहा है, जो जून 2024 में 7.61 अरब डॉलर था। जून 2025 में सकल इनवार्ड एफडीआई 4 साल के उच्च स्तर पर पहुंच गया। अमेरिका, साइप्रस और सिंगापुर से कुल एफडीआई आवक में से तीन चौथाई से ज्यादा आया है। रिजर्व बैंक के बुलेटिन के मुताबिक कंप्यूटर सेवाओं, विनिर्माण और निर्माण क्षेत्र में सबसे ज्यादा धन आया है। 

First Published : August 29, 2025 | 9:45 PM IST