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भारत और कनाडा के बीच प्रस्तावित व्यापार समझौते में फिलहाल पर्यावरण, डिजिटल व्यापार, श्रम जैसे व्यापार से इतर मुद्दे शामिल किए जाने की संभावना नहीं है। मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने यह बताया। उन्होंने कहा कि भारत इन संवेदनशील मुद्दों पर फिलहाल कोई वादा नहीं करना चाहता क्योंकि दोनों देशों ने व्यापक समझौते के बजाय जल्द नतीजे देने वाला समझौता करने का निर्णय लिया है। इस समझौते पर इस साल के अंत तक हस्ताक्षर किए जाने की संभावना है।
इसलिए भारत पर स्त्री-पुरुष, श्रम, पर्यावरण जैसे प्रमुख गैर-व्यापारिक मुद्दों पर जबान देने और वादा मांगने का खास दबाव नहीं है। आम तौर पर मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) करते समय यह विकसित देशों की प्राथमिकता होती है।
एक व्यक्ति ने कहा कि भारत और कनाडा के बीच शुरुआती समझौता वार्ता मुख्य तौर पर वस्तु, व्यापार समाधान, विवाद निपटान, उत्पाद के मूल स्थान, सेवाओं में निवेश, सीमा शुल्क और व्यापार सुविधा सहित तमाम क्षेत्रों पर केंद्रित है। उसने कहा, ‘शुरुआती दौर के समझौते में हम पर्यावरण, श्रम, बौद्धिक संपदा अधिकार आदि मुद्दों को शामिल नहीं कर रहे। हम डिजिटल व्यापार पर अपनी बात को हरसंभव टालना चाहेंगे।’
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भारत द्विपक्षीय समझौतों के इन नए क्षेत्रों के लिए वादे करने में भारत सतर्कता बरतता रहा है। उदाहरण के लिए हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के साथ व्यापार समझौते में भारत ने डिजिटल व्यापार को शामिल किया है, जिसमें साइबर सुरक्षा, व्यक्तिगत डेटा सुरक्षा, सूचनाओं का सीमा पार आदान-प्रदान आदि शामिल हैं। मगर उसमें वादे के नाम पर ‘सर्वश्रेष्ठ प्रयास’ ही कहा गया है।
इसका मतलब साफ है कि इन मुद्दों पर भारत बाध्य नहीं है और बाद में चर्चा की जा सकती है। ऑस्ट्रेलिया के साथ अंतरिम समझौते (आर्थिक सहयोग एवं व्यापार समझौता) में भी डिजिटल व्यापार, आईपीआर से संबंधित मुद्दे नहीं थे, लेकिन व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते (सीईसीए) को अंतिम रूप देने के लिए अब की जा रही बातचीत में उन्हें शामिल किया गया है।
यूरोपीय संघ और ब्रिटेन के साथ व्यापक मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) वार्ता के मामले में इन मुद्दों पर चर्चा की जा रही है। ब्रिटेन के मामले में आईपीआर उन विवादास्पद मुद्दों में शामिल है, जिनका अभी तक कोई समाधान नहीं हो पाया है। व्यापार एवं निवेश प्रवाह को बढ़ावा देने के लिए नए अवसर सृजित करने के लिहाज से भारत और कनाडा ने व्यापक व्यापार समझौते पर नए सिरे से औपचारिक वार्ता शुरू की है।
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यह भी कहा गया है कि शुरुआती व्यापार समझौता (ईपीटीए) व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (सीईपीए) की दिशा में उठाया गया प्रमुख कदम होगा। दोनों देशों के बीच अब तक नौ दौर की वार्ता हो चुकी है। एक व्यक्ति ने कहा, ‘यह व्यापार समझौता उन्नत चरण में है और इस साल के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है।’
कनाडा वित्त वर्ष 2023 में 8.16 अरब डॉलर व्यापार के साथ भारत का 35वां सबसे बड़ा व्यापार भागीदार था। इस दौरान भारत ने कनाडा को 4.11 अरब डॉलर का निर्यात किया, जो वित्त वर्ष 2022 में 3.76 अरब डॉलर रहा था। कनाडा से आयात 29.3 फीसदी बढ़कर 4.05 अरब डॉलर हो गया।