अर्थव्यवस्था

नौ साल में दुनिया की 10वीं से 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना भारत, PM मोदी ने कहा- महंगाई दुनिया के लिए चुनौती

मोदी ने कहा, ‘दुनिया का जीडीपी केंद्रित दृ​ष्टिकोण अब मानव-केंद्रित नजरिये में बदल रहा है और भारत ने इसमें उत्प्रेरक का काम किया है

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अर्चिस मोहन   
Last Updated- September 03, 2023 | 11:38 PM IST

भारत में जी20 नेताओं का ​शिखर सम्मेलन आयोजित होने से कुछ दिन पहले एक साक्षात्कार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुद्रास्फीति को दुनिया के लिए गंभीर चुनौती बताया और राज्यों के लिए राजकोषीय अनुशासन की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि ऋण संकट विकासशील दुनिया के लिए गंभीर चिंता का विषय है।

प्रधानमंत्री ने पिछले हफ्ते समाचार एजेंसी पीटीआई को साक्षात्कार दिया था, जिसे आज जारी किया गया। मोदी ने कहा कि महामारी के कारण दुनिया ने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पर जोर देने के बजाय भारत के मानव-केंद्रित विकास मॉडल को माना है। उन्होंने भारत की जी20 अध्यक्षता की सफलताओं का उल्लेख किया और दिल्ली के बाहर बैठकें आयोजित करने में पिछली सरकारों के संदेह पर अफसोस जाहिर की। प्रधानमंत्री ने अर्थव्यवस्था सहित

वि​भिन्न क्षेत्रों में पिछले 9 वर्षों में अपनी सरकार द्वारा किए गए साहसिक सुधारों को श्रेय देते हुए कहा कि इसकी बदौलत भारत एक दशक से भी कम समय में रफ्तार के साथ दुनिया की 10वीं से 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया। साथ ही इसने दुनिया को दिखाया कि ‘भारत का मतलब कारोबार’ है। उन्होंने कहा, ‘हमारे पास डेमोक्रेसी (लोकतंत्र), डेमोग्राफी (जनसांख्यिकी) और डायवर्सिटी (विविधता) है और हम अब चौथा ‘डी’ यानी डेवलपमेंट (विकास) भी जोड़ रहे हैं।’ प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई है कि 2047 तक भारत विकसित राष्ट्र होगा, जिसमें भ्रष्टाचार, जातिवाद और सांप्रदायिकता के लिए कोई जगह नहीं होगी।

अंतरराष्ट्रीय कराधान का जिक्र करते हुए उन्होंने बहुपक्षीय संधि के दस्तावेज को भारत की जी20 अध्यक्षता की सफलताओं में गिनाया। उन्होंने कहा कि इससे देशों और अन्य न्यायिक क्षेत्रों को अंतरराष्ट्रीय कर प्रणाली में ऐतिहासिक तथा प्रमुख सुधार के साथ आगे बढ़ने में मदद मिलेगी।

मोदी ने कहा कि उनकी सरकार के ‘सभी के कल्याण’ के नजरिये ने वैश्विक स्तर पर भी काम करने में उनकी मदद की। इसने उन लोगों को भी शामिल करने के लिए काम किया जो महसूस करते हैं कि उनकी आवाज नहीं सुनी जा रही है, जैसे ग्लोबल साउथ या अफ्रीकी संघ को जी20 का सदस्य बनाने की मांग या तकनीक का लोकतंत्रीकरण तथा जलवायु परिवर्तन पर बातचीत।

महंगाई की बात करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की अध्यक्षता में सदस्य देशों को अहसास हो गया कि केंद्रीय बैंकों द्वारा सही समय पर नीतिगत रुख की स्पष्ट जानकारी दिया जाना यह सुनिश्चित करने के लिए कितना जरूरी है कि महंगाई से लड़ने की किसी एक देश की नीति अन्य देशों का नुकसान नहीं कर दे। उन्होंने कहा कि खाद्य तथा ऊर्जा की कीमतों में उतार-चढ़ाव के साथ जुड़ी चुनौतियों से निपटने के नीतिगत अनुभव साझा करना भी बहुत महत्त्वपूर्ण है।

मोदी ने कहा, ‘दुनिया का जीडीपी केंद्रित दृ​ष्टिकोण अब मानव-केंद्रित नजरिये में बदल रहा है और भारत ने इसमें उत्प्रेरक का काम किया है।’

वित्तीय अनुशासन की जरूरत पर बल देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘इसके दुष्परिणाम उन्हें भुगतने पड़ते हैं, जो अक्सर सबसे गरीब या सबसे कमजोर होते हैं। मुख्य सचिवों का राष्ट्रीय सम्मेलन हो या ऐसा कोई भी मंच, मैंने हर जगह कहा है कि गैर-जिम्मेदार वित्तीय नीतियां और लोकलुभावन फैसले थोड़े समय के लिए राजनीतिक लाभ दे सकते हैं लेकिन आगे चलकर इसकी बड़ी सामाजिक और आ​र्थिक कीमत चुकानी पड़ती है।’

ऊर्जा बदलाव पर मोदी ने कहा, ‘हमारा सिद्धांत सरल है – विविधता हमारे लिए सबसे अच्छा विकल्प है, चाहे वह समाज में हो या ऊर्जा के विभिन्न स्रोतों में हो। सबके लिए एक जैसा समाधान नहीं हो सकता। विभिन्न देश अलग-अलग रास्तों पर चल रहे हैं, इसलिए ऊर्जा बदलाव की उनकी राह भी अलग-अलग होंगी।’ उन्होंने कहा कि दुनिया की 17 फीसदी आबादी भारत में रहती है मगर कुल उत्सर्जन में भारत का हिस्सा 5 फीसदी से भी कम है। इसके बावजूद भारत ने अपने जलवायु लक्ष्य पूरे करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। मोदी ने कहा, ‘हम रोक लगाने के बजाय रचनात्मक नजरिया अपनाने के लिए अन्य देशों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।’

पिछली सरकारों पर निशाना साधते हुए मोदी ने कहा, ‘दुर्भाग्य से अतीत में दिल्ली में कार्यक्रम विज्ञान भवन और उसके आसपास ही किए जाते थे। ऐसा शायद इसलिए था कि यह आसान तरीका था या शायद इसलिए कि सत्ता में बैठे लोगों को देश के दूसरे हिस्सों के लोगों में भरोसा ही नहीं था।’

जी 20 की बैठकें कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश में कराने पर पाकिस्तान तथा चीन की आपत्ति को खारिज करते हुए मोदी ने कहा कि देश के हर हिस्से में बैठकें होना स्वभाविक है। उन्होंने कहा कि भारत की जी20 अध्यक्षता का कार्यकाल जब तक खत्म होगा तब तक सभी 28 राज्यों और 8 केंद्रशासित प्रदेशों के 60 शहरों में 220 से अधिक बैठकें हो चुकी होंगी। उन्होंने कहा कि लगभग 125 देशों के एक लाख से अधिक प्रतिभागी भारतीयों का कौशल देखेंगे। मोदी ने कहा, ‘हमारे देश में 1.5 करोड़ से अ​धिक लोग इन कार्यक्रमों में शामिल हुए हैं या उनके कुछ हिस्से में ​शिरकत की है।’

प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार का दूसरा कार्यकाल पूरा होने वाला है। 2014 से पहले देश ने कई अ​स्थिर सरकारें देखी है जो बहुत कुछ नहीं कर सकीं। मोदी ने कहा, ‘लेकिन पिछले कुछ वर्षों में लोगों ने निर्णायक जनादेश दिया है जिससे ​स्थिर सरकार, पूर्व अनुमानित नीतियां और सरकार की समग्र दिशा में स्पष्टता आई है।’

First Published : September 3, 2023 | 11:32 PM IST