प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वतंत्रता दिवस के भाषण में आत्मनिर्भर भारत और ऊर्जा क्षेत्र पर मुख्य जोर था। प्रधानमंत्री ने देश के ऊर्जा क्षेत्र में आयात घटाने के लिए घरेलू विनिर्माताओं से उत्पादन बढ़ाने का आह्वान किया। सौर, पवन, हरित हाइड्रोजन, जैव ईंधन और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी जैसे ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हमें ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनना होगा। हम ऊर्जा क्षेत्र में कब तक निर्भर रह सकते हैं। सौर, हरित ऊर्जा, अक्षय ऊर्जा, मिशन हाइड्रोजन, जैव ईंधन और इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) को हमें अगले स्तर पर ले जाना होगा, जिससे ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल हो सके।’
भारत ने अंतिम तिथि के 5 महीने पहले एथनॉल मिश्रण का लक्ष्य हासिल कर लिया। पेट्रोल में एथनॉल मिलाया जाना 2000 की शुरुआत में शुरू हुआ, लेकिन 2014 के बाद ही इसे गति मिल सकी। पेट्रोल में एथनॉल मिश्रण बढ़कर इस साल जून में 10.16 प्रतिशत हो गया है, जो 2014 में 1.4 प्रतिशत था।
एथनॉल सफलता की कहानी हो सकता है, लेकिन आयात अभी भी बहुत ज्यादा है और यह महत्त्वाकांक्षाओं पर भारी पड़ रहा है। वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान भारत का पेट्रोलियम आयात इसके कुल आयात का 23.8 प्रतिशत था और भारत अपनी पेट्रोलियम की कुल जरूरतों का 86 प्रतिशत आयात करता है।
अक्षय ऊर्जा में पवन ऊर्जा क्षेत्र में घरेलू उत्पादन में तेज बढ़ोतरी की बात कही जाती है। लेकिन क्षमता विस्तार में सुस्त वृद्धि से इसमें दो अंकों की बढ़ोतरी नहीं हो पाई, जैसा पिछले दशक में हुआ। सौर ऊर्जा पिछले दशक में रिकॉर्ड 2,000 प्रतिशत बढ़ा, जो व्यापक रूप से देखें तो उपकरणों के आयात पर निर्भर है, भले ही इस पर करों में कटौती सहित कई तरह से लगाम लगाने की कोशिश हुई है।
2021-22 के दौरान सौर सेलों का आआयात एक साल पहले की तुलना में 101 प्रतिशत बढ़ा है। इसके बाद अप्रैल 2022 में नया बुनियादी सीमा शुल्क लागू किया गया। महामारी के पिछले दो वर्षों क दौरान सौर उपकरणों का आयात कम हुआ था, जिससे क्षमता विस्तार सुस्त हो गया। भारत के सौर ऊर्जा बाजार में 75 प्रतिशत आयात होता है, जिसमें से ज्यादातर चीन से आता है।
इलेक्ट्रिक मोबिलिटी का भी वही हाल है। केंद्र सरकार ने ईवी और बैटरी विनिर्माण की दिशा में कई कदम उठाए हैं और छूट दी है, लेकिन मुख्य उपकरणों को लेकर आयात पर निर्भरता बनी हुई है। भारत लीथियम और लीथियम आयन का आयात करता है, जो इलेक्ट्रिक वाहनों में बैटरी का मुख्य घटक है। वित्त वर्ष 21 में इसका 8,811.45 करोड़ रुपये का आयात हुआ, जो वित्त वर्ष 22 में बढ़कर 13,673.14 करोड़ रुपये हो गया।
कोयला खनन के मामले में भारत का विश्व में दूसरा स्थान है और ताप बिजली उत्पादन की 90 प्रतिशत आपूर्ति घरेलू कोयले से होती है। बहरहाल हाल के कदमों से आयातित कोयले पर निर्भरता बढ़ी है और आयातित कोयला आधारित बिजली संयंत्रों पर इसका बुरा असर पड़ा है। इस साल घरेलू कोयले की आपूर्ति लक्ष्य से कम रही है, ऐसे में केंद्रीय बिजली मंत्रालय ने राज्यों व बिजली उत्पादों को कोयले के आयात के निर्देश दिए, लेकिन 3 महीने बाद फैसला वापस ले लिया गया।
