अर्थव्यवस्था

तेल की बढ़ती हाजिर खरीद की जांच करेगी सरकार, पेट्रोलियम पर बनी संसद की स्थायी समिति ने दी सावधान रहने की सलाह

पिछले कुछ वर्षों में हाजिर खरीद में तेजी आई है। यह 2022-23 में कुल तेल आयात के 35.13 प्रतिशत पर पहुंच गया है, जो 2017-18 के 27.58 प्रतिशत से अधिक है।

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शुभायन चक्रवर्ती   
Last Updated- December 31, 2023 | 9:13 PM IST

पिछले कुछ साल के दौरान तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) ने हाजिर बोलियों के माध्यम से महंगे कच्चे तेल की खरीद बढ़ाई है। पेट्रोलियम पर बनी संसद की स्थायी समिति ने इस गतिविधि को लेकर सावधान रहने और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को तेल खरीद को लेकर बेहतर योजना बनाने की सलाह दी है।

एक अधिकारी ने कहा कि संसद की समिति की रिपोर्ट को देखते हुए पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय जल्द ही इस मसले का ऑडिट शुरू करेगा।

संसद में हाल में पेश की गई एक रिपोर्ट में समिति ने कहा है कि हाजिर बोलियों के माध्यम से खरीद का औसत मूल्य सावधि सौदों की तुलना में कम होना चाहिए। पिछले कुछ वर्षों में हाजिर खरीद में तेजी आई है। यह 2022-23 में कुल तेल आयात के 35.13 प्रतिशत पर पहुंच गया है, जो 2017-18 के 27.58 प्रतिशत से अधिक है।

समिति ने सिफारिश की है कि मंत्रालय को एक ऑडिट कराना चाहिए जिससे कि यह पता चल सके कि हाजिर बोलियों से क्या वास्तव में कम लागत आई है।

पेट्रोलियम मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘हमने सिफारिशों को गंभीरता से लिया है। एक ऑडिट कराया जाएगा। तेल कंपनियों ने हमेशा कवायद की है कि हाजिर सौदों की मात्रा बढ़े, लेकिन खासकर प्रमुख तेल उत्पादक इलाकों सहित तेल के वैश्विक दाम में उतार चढ़ाव के कारण हाजिर खरीद की कीमत बढ़ी है।’

सालाना सावधि सौदे सामान्यतया एक साल के लिए होते हैं जो टेक्नो इकोनॉमिक विश्लेषण, आपूर्ति की सुरक्षा, अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक और व्यापार संबंधों और आपू्र्ति के स्रोतों के भौगोलिक प्रसार जैसी वजहों के मुताबिक तय होता है।

सावधि सौदों के अलावा जरूरतें पूरी करने के लिए पीएसयू शेष तेल हाजिर सौदों से खरीदती हैं। इससे कच्चे तेल की खरीद में लचीलेपन की सुविधा मिलती है और मौसमी बाजार मांग के मुताबिक खरीद की जा सकती है। साथ ही विभिन्न नए ग्रेड के विकल्प भी तलाशे जा सकते हैं, जो सावधि सौदों में नहीं मिल पाते।

सामान्यतया यह माना जाता है कि हाजिर टेंडर में सावधि सौदों की तुलना में सस्ती दर पर तेल मिल जाता है। इस तरह की खरीद नैशनल ऑयल कंपनीज (एनओसी) से आधिकारिक बिक्री मूल्य (ओएसपी) पर होती है, जहां से उसका आयात किया जाता है। जब इस तरह के देशों के पास तेल उपलब्ध नहीं होता है तो पीएसयू उन नैशनल ऑयल कंपनीज के पास जाती हैं, जिन्होंने ओएसपी नहीं तय कर रखा होता है।

समिति ने पाया कि सावधि और हाजिर का अनुपात आईओसीएल का दो तिहाई और एक तिहाई का है। वहीं बीपीसीएल का यह अनुपात 60:40 का है।

जानकारी के मुताबिक तेल पीएसयू को कच्चे तेल की अपनी खरीद को लेकर फैसला करने की स्वायत्तता है। पीएसयू अपनी जरूरतों के मुताबिक तेल के प्रकार और मात्रा के बारे में अंतरराष्ट्रीय बाजार से खरीदने का बेहतर फैसला कर सकती हैं।

बहरहाल यह पाया गया है कि जहां सभी तेल पीएसयू ने कच्चे तेल की खरीद पर अपनी कंपनी के फैसले लेने के लिए अधिकार प्राप्त स्थायी समिति (ईएससी) का गठन किया है, वहीं अलग अलग पीएसयू की ईएससी के गठन में कोई एकरूपता नहीं है।

First Published : December 31, 2023 | 9:13 PM IST