आईएफएससी को दुनिया भर में फैलाने और विदेशी पूंजी हासिल करने में मदद करने के लिए उसके नियामक अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (आईएफएससीए) ने कमर कस ली है। इसके लिए आईएफएससीए ने 10 से अधिक देश चिह्नित किए हैं और उनके साथ द्विपक्षीय समझौतों के लिए बातचीत शुरू की है। प्राधिकरण अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (आईएफएससी) में वित्तीय योजनाओं, वित्तीय सेवाओं और वित्तीय संस्थानों के विकास एवं नियमन का कामकाज संभालता है। इसका यह प्रयास गुजरात के गांधीनगर में गुजरात इंटरनैशनल फाइनैंस टेक-सिटी (गिफ्ट आईएफएससी) में एक विश्व स्तरीय फिनेटक हब बनाने की सरकार महत्त्वाकांक्षी योजना की दिशा में ही है।
आईएफएससी प्राधिकरण के चेयरमैन इंजेति श्रीनिवास ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘हमने फिनटेक के लिए एक विशिष्ट प्लेटफॉर्म बनाने की पहल शुरू कर दी है। हम छांटे गए 10 देशों के नियामकों के साथ एक ‘फिनेटक ब्रिज’ बनाने के बारे में विचार कर रहे हैं, जिससे भारतीय फिटनेक को विदेशी बाजारों में पहुंच मिल जाएगी।’ उन्होंने कहा कि आईएफएससीए इन देशों के वित्तीय नियामकों के साथ पारस्परिक लाभ की संभावनाएं तलाशने के लिए बातचीत कर रहा है।
श्रीनिवास के अनुसार मुताबिक गिफ्ट सिटी का फायदा यह है कि भारत में सभी क्षेत्रों की करीब 2,500 फिनटेक कंपनियों में से ज्यादातर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जाना चाहती हैं। उन्होंने कहा, ‘यह ब्रिज देसी और विदेशी फिनेटक को एक दूसरे से मिलाने में मददगार होगा और इससे उन्हें केवल पूंजी ही नहीं बल्कि बुनियादी ढांचा भी आपस में जोडऩे में मदद मिलेगी।’ आईएफएससी में कोष प्रबंधन के लिए एक वैरिएबल कैपिटल कंपनी (वीसीसी) बनाई जाएगी। पूर्व अधिकारी केपी कृष्णन की अगुआई वाली समिति एक रिपोर्ट तैयार कर रही है, जो जल्द ही सौंपी जाएगी।
खेतान ऐंड कंपनी में पार्टनर सिद्धार्थ शाह ने कहा, ‘ऐसी पहल देश में स्टार्टअप का माहौल बेहतर बनाने में कारगर रहेगी क्योंकि इससे उन्हें दुनिया से जुडऩे का फायदा मिलेगा।’
शाह ने कहा कि बहुत सी भारतीय स्टार्टअप विदेशी पूंजी हासिल करने और वैश्विक बाजारों में पैठ के लिए वहां अपना कारोबार स्थापित कर रही हैं। देश में ही गिफ्टसिटी में फिनटेक केंद्र बनने और उसका दुनिया से संपर्क होने से यह सुनिश्चित होगा कि ये स्टार्टअप भारत में बनी रहेंगी और उन्हें वे लाभ भी मिल जाएंगे, जो वे विदेश में कारोबार स्थापित कर लेना चाहती हैं। यह वैश्विक कंपनियों को देश में लाने का सबसे बेहतर उपाय है। भारतीय स्टार्टअप के वैश्विक स्टार्टअप के साथ जुडऩे से बाहर से ज्ञान, आईपी और पूंजी का आदान-प्रदान होगा और पूरे तंत्र में मजबूती आएगी।
इधर प्राधिकरण भारतीय रिजर्व बैंक और कुछ वित्तीय संस्थानों समेत अन्य नियामकों के साथ सीमा पार भुगतान के लिए एक संयुक्त नियामकीय ढांचा (रेग्युलेटरी सैंडबॉक्स) बनाने पर भी विचार कर रहा है। रेग्युलेटरी सैंडबॉक्स में नए उत्पादों या सेवाओं का नियंत्रित या परीक्षण के लिए तैयार किए गए माहौल में सजीव परीक्षण करना होता है, जिसके लिए नियामक परीक्षण में कुछ ढील दे सकते हैं।
उधर उद्योग से जुड़े लोगों को एक चिंता है।
उनका कहना है कि गुजरात में विकसित होने वाला फिनेटक केंद्र सभी संबंधित गतिविधियों का केंद्र तो होगा मगर शायद यह स्थान सही नहीं है क्योंकि ज्यादातर स्टार्टअप मुंबई या बेंगलूरु में हैं। उनका कहना है कि केवल केंद्र बनने भर से कंपनियां अहमदाबाद शायद ही जाएं।
वित्त वर्ष 2021-22 का केंद्रीय बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि इस पहल का मकसद गुजरात में शुरू हो चुके देश के पहले स्मार्ट सिटी में विश्व स्तरीय फिनटेक केंद्र के विकास में मदद देना है, जिसे बहु-सेवा वित्तीय केंद्र के रूप में विकसित करने के हिसाब से तैयार किया जा रहा है।