विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों यानी FPI की बिकवाली का सिलसिला जारी है। आंकड़ों पर नजर डालें तो FPI ने नवंबर में अब तक भारतीय शेयर बाजारों से 5,800 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि ये बिकवाली बढ़ती ब्याज दरों और मिडिल-ईस्ट में जियो-पॉलिटिकल टेंशन के चलते देखी जा रही है।
डिपॉजिटरी के आंकड़ों पर नजर डालें तो FPI ने इसके पहले यानी अक्टूबर महीने में में 24,548 करोड़ रुपये और सितंबर में 14,767 करोड़ रुपये निकाले थे।
डिपॉजिटरी के आंकड़े बताते हैं कि 1-10 नवंबर के दौरान FPI ने 5,805 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि ‘सितंबर महीने में जो एफपीआई की बिकवाली शुरू हुई वो अक्टूबर में देखी गई और अब इस महीने यानी नवंबर में ऐसा ही देखने को मिल सकता है। हालांकि इस महीने बिक्री की रफ्तार में कमी जरुर देखी जा रही है।
बिकवाली के कारणों को समझें तो इसका मुख्य कारण इजरायल और हमास के बीच संघर्ष के साथ अमेरिकी ट्रेजरी बांड यील्ड में बढ़ोतरी है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि वर्तमान में सोने और अमेरिकी डॉलर जैसी सेफ-हैवन एसेट्स पर फोकस बढ़ाया जा सकता है।
चुनावों से पहले बाजार में रह सकती है तेजी
आम चुनावों से पहले शेयर बाजार में तेजी की संभावना है जैसा कि पिछले पांच आम चुनावों के दौरान हुआ था। बिकवाली की शुरुआत से पहले मार्च से अगस्त तक 6 महीनों में लगातार विदेशी निवेशकों ने खरीदारी की थी। इस अवधि के दौरान 1.74 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया गया।