भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के डिप्टी गवर्नर माइकल देवव्रत पात्रा ने आठ फरवरी को हुई मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee) की बैठक में कहा था कि वैश्विक अनिश्चितता ने मुद्रास्फीति के खिलाफ लड़ाई को जटिल बना दिया है। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक का ब्य़ोरा बुधवार को जारी हुआ, जिसमें यह जानकारी दी गई।
इस दौरान आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि गैर-तेल जिंस कीमतों में बढ़ोतरी जैसे वैश्विक कारकों के चलते काफी अनिश्चितता है। आरबीआई ने आठ फरवरी को मूल मुद्रास्फीति का हवाला देते हुए मुख्य अल्पकालिक उधार दर को 0.25 प्रतिशत बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया था।
आरबीआई ने पिछले साल मई के बाद से छठी बार ब्याज दर बढ़ाई। इस दौरान दरों में कुल 2.5 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई। एमपीसी के ब्योरे के अनुसार पात्रा ने कहा, ”मुद्रास्फीति के खिलाफ लड़ाई वैश्विक नजरिए से जटिल है। पहले की आशंका की तुलना में अब एक सामान्य मंदी को लेकर कुछ आम सहमति बन रही है, हालांकि भौगोलिक असमानताएं पूर्वानुमान को जटिल बनाती हैं।
कुल मिलाकर, वैश्विक मुद्रास्फीति का परिदृश्य पहले की तुलना में अधिक अनिश्चित हो रहा है। ” गवर्नर शक्तिकांत दास, जो छह सदस्यों वाली एमपीसी के प्रमुख हैं, ने भी कहा कि कुल मिलाकर भू-राजनीतिक तनाव, वैश्विक वित्तीय बाजार में अस्थिरता, गैर-तेल जिंस कीमतों में तेजी, कच्चे तेल की कीमतों में अस्थिरता और मौसम संबंधी उतार-चढ़ाव के कारण काफी अनिश्चितता है। उन्होंने कहा कि दरों में 0.25 प्रतिशत की बढ़ोतरी से भविष्य की मौद्रिक नीति कार्रवाइयों के लिए गुंजाइश मिलेगी।