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महंगाई की आशंका ने रोका हाथ, RBI ने Repo Rate में नहीं किया कोई बदलाव

मौद्रिक नीति समिति की समीक्षा बैठक के बाद जारी आंकड़ों के मुताबिक जुलाई में महंगाई दर 7.44 प्रतिशत थी, जो 15 माह का उच्चतम स्तर है

Last Updated- August 24, 2023 | 10:58 PM IST
Inflation
Illustration: Ajay Mohanty

अगस्त की समीक्षा के दौरान मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के सदस्यों ने महंगाई को देखते हुए इंतजार करने की रणनीति अपनाने का फैसला किया। साथ ही कीमतों के झटकों पर ध्यान देने की वकालत की, क्योंकि ये अस्थिर प्रकृति के हैं।

एमपीसी के सभी 6 सदस्यों ने नीतिगत रीपो दर में कोई बदलाव न करते हुए 6.5 प्रतिशत बरकरार रखने का फैसला किया। लगातार तीसरी नीतिगत समीक्षा में रीपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया था।

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, ‘ हमारा लक्ष्य अभी पूरा नहीं हुआ है। सब्जियों की महंगाई के झटकों की अल्पकालिक प्रकृति को देखते हुए मौद्रिक नीति में प्रमुख महंगाई दर के असर पर नजर रखी जानी चाहिए।’उन्होंने कहा कि प्रमुख महंगाई दर पिछले साल के बढ़े स्तर की तुलना में कम हुई है, लेकिन अभी भी लक्ष्य के ऊपर चल रही है।

मौद्रिक नीति समिति की समीक्षा बैठक के बाद जारी आंकड़ों के मुताबिक जुलाई में महंगाई दर 7.44 प्रतिशत थी, जो 15 माह का उच्चतम स्तर है। यह केंद्र सरकार के 6 प्रतिशत की तय ऊपरी सीमा से अधिक है।

दास ने कहा कि रिजर्व बैंक को खाद्य महंगाई के झटके के दूसरे दौर के असर के लिए तैयार रहने की जरूरत है। दास ने कहा कि हम लगातार अपनी पिछली कार्रवाइयों के असर का आकलन कर रहे हैं और आने वाले आंकड़ों के अनुसार जरूरी कार्रवाई करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक महंगाई दर 4 प्रतिशत रखने को लेकर प्रतिबद्ध है।

रिजर्व बैंक ने 10 अगस्त को अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में महंगाई संबंधी चिंताओं का हवाला देते हुए रीपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा था। एमडी पात्र, शशांक भिडे, आशिमा गोयल, जयंत आर वर्मा और राजीव रंजन सहित सभी 6 सदस्यों ने नीतिगत दर यथास्थिति रखने के पक्ष में मतदान किया था।

गुरुवार को जारी मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के ब्योरे के अनुसार दास ने कहा, ‘साथ ही खाद्य कीमतों के आगे भी व्यापक महंगाई दर पर दबाव बनाने और महंगाई दर बढ़ने को लेकर जो आशंका है, उसे नियंत्रित करने के लिए जोखिम को पहले से ही भांपने तथा उससे निपटने के लिए तैयार रहने की जरूरत है।’

डिप्टी गवर्नर एमडी पात्र ने प्रमुख महंगाई में लगातार कमी बनाए रखने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह महंगाई को लक्ष्य के भीतर लाने के रिजर्व बैंक के उद्देश्य के हिसाब से अहम है। उन्होंने कहा, ‘भारत में खाद्यान्न की कीमतों पर वेतन, किराये, परिवहन लागत आदि के माध्यम से प्रमुख महंगाई का असर हो सकता है।’

प्रमुख महंगाई सीपीआई महंगाई दर है, जिसमें खाद्य व ईंधन शामिल नहीं है। इसमें गिरावट आई है, लेकिन यह जुलाई में 4.9 प्रतिशत के बढ़े स्तर पर बनी हुई है।

पात्र ने नकदी ज्यादा रहने के महंगाई के असर पर जोर दिया। रिजर्व बैंक ने अगस्त की पॉलिसी में बढ़ा नकद आरक्षित अनुपात 10 प्रतिशत कर दिया है, जिसकी वजह पिछले कुछ दिनों से बैंकिंग व्यवस्था में नकदी घाटे की स्थिति में है।

पात्र ने कहा, ‘अतिरिक्त नकदी की निकासी पर रिजर्व बैंक को ध्यान देना चाहिए क्योंकि यह वित्तीय स्थिरता के संभावित जोखिमों के अलावा महंगाई दर के रिजर्व बैंक के लक्ष्य के लिए सीधा खतरा पैदा कर रहा है।’बाहरी सदस्य आशिमा गोयल ने सब्जी आपूर्ति श्रृंखला के विविधीकरण पर जोर दिया, जिसे कि कीमत को लेकर मौसम के असर को टाला जा सके।

उन्होंने कहा कि भारत के तेल दिग्गज पिछले साल गर्मियों में लाभ में आ गए थे और भारी मुनाफे में हैं। उन्होंने कहा, ‘वे घरेलू कीमत घटाने की स्थिति में हैं। तेल की कीमत में कटौती करने का महंगाई पर व्यापक असर पड़ सकता है।’

अन्य बाहरी सदस्य जयंत वर्मा ने कहा कि कम महंगाई दर के आंकड़े उत्सव मनाने के संकेत नहीं हैं, इसी तरह से बहुत ज्यादा महंगाई के आंकड़ों पर अफरातफरी की भी जरूरत नहीं है।

First Published - August 24, 2023 | 10:58 PM IST

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