सरकार ने 3 लाख करोड़ रुपये की आपात ऋण गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) का दायरा बढ़ा दिया है ताकि कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर से प्रभावित सभी क्षेत्रों के उद्यमों को राहत मुहैया कराई जा सके। योजना में बकाया कर्ज के लिए 500 करोड़ रुपये की सीमा भी हटा दी गई है। कुल कर्ज के 40 फीसदी या 200 करोड़ रुपये में से जो भी कम होगा, उतनी मदद कर्जदार ले सकेंगे। ईसीएलजीएस के पहले चरण में दिए गए ऋणों के लिए भी 10 फीसदी तक अतिरिक्त ईसीएलजीएस सहायता प्राप्त की जा सकती है। इस तरह 29 फरवरी, 2020 तक बकाया रहे कर्ज के 30 फीसदी तक पर गारंटी मिल जाएगी।
नागरिक उड्डयन क्षेत्र को भी गारंटी योजना के तहत अतिरिक्त कर्ज मिल सकेगा। लेकिन इसमें कर्ज सीमा की शर्त जुड़ी होगी। सरकार ने गारंटी कवर 3 लाख करोड़ रुपये पर ही बरकरार रखा है। इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (आईबीए) के मुख्य कार्याधिकारी सुनील मेहता ने कहा कि इस योजना के तहत 2.54 लाख करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं और 2.40 लाख करोड़ रुपये वितरित कर दिए गए हैं। करीब 45 हजार करोड़ रुपये की राशि अभी स्वीकृत की जानी है। इस योजना की वैधता बढ़ा दी गई है। अब यह 30 सितंबर तक या 30 जून के बाद 3 लाख करोड़ रुपये की गारंटी जारी होने तक चलती रहेगी। राशि का वितरण 31 दिसंबर तक किया जा सकता है।
संशोधित नियमों के मुताबिक ईसीएलजीएस के पहले चरण में शामिल कर्जदारों को 29 फरवरी, 2020 तक बकाया राशि की 10 फीसदी सहायता अलग से दी जाएगी। ऋणी पूरे बकाया कर्ज के 20 फीसदी या 25 करोड़ रुपये तक कर्ज प्राप्त कर सकते थे। अब ऐसे ऋणी अपने पूरे बकाया ऋण का 30 फीसदी तक कर्ज ले सकेंगे। साथ ही ईसीएलजीएस के पहले चरण के कर्ज के लिए पुनर्गठित ऋणों को लौटाने की अवधि एक साल बढ़ाकर पांच साल कर दी गई है।
इंडियन बैंक्स एसोसिएशन के चेयरमैन राजकिरण राय ने कहा कि ईसीएलजीएस के पहले चरण में लाभ लेने वाले बहुत से कर्जदार भी कोविड-19 की दूसरी लहर से प्रभावित हुए हैं। उन्हें कर्ज चुकाने के लिए अतिरिक्त रकम और समय चाहिए। इस संशोधन से डिफॉल्ट की आशंका कम हो जाएगी। राय यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी भी हैं।
इक्रा के उपाध्यक्ष (वित्तीय क्षेत्र रेटिंग) अनिल गुप्ता ने कहा, ‘कोविड-19 की दूसरी लहर और कर्जदारों की कर्ज लौटाने की क्षमता पर बढ़ रहे दबाव के समय में ईसीएलजीएस के तहत राहत उपायों से कर्जदारों की नकदी की हालत सुधरेगी। सरकार पर भी अतिरिक्त खर्च का बोझ नहीं आएग। इससे ईसीएलजीएस वित्त पोषण कोष के उपयोग में भी सुधार आएगा।’
अब इस संशोधित योजना को ईसीएलजीएस का चौथा चरण कहा गया है। इस योजना में वे अस्पताल और नर्सिंग होम भी शामिल कर लिए गए हैं, जिनके परिसर में ही ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र लगाए जा रहे हैं। दो करोड़ रुपये तक के कर्ज पर 100 फीसदी गारंटी मिलेगी। ब्याज दर 7.5 फीसदी से ज्यादा नहीं होगी। वित्त मंत्रालय ने कहा कि इस बदलाव से एमएसएमई को अतिरिक्त मदद मिलेगी।