अर्थव्यवस्था

आगे बेहतर रहेगी अर्थव्यवस्था, उपभोक्ता एवं कारोबारी विश्वास में मजबूती से मिलेगी रफ्तार

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा है कि जीडीपी वृद्धि दर में हालिया सुस्ती के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था की संभावनाएं बेहतर होने की उम्मीद है।

Published by
मनोजित साहा   
Last Updated- December 30, 2024 | 11:09 PM IST

Indian economy outlook 2025: भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा है कि जीडीपी वृद्धि दर में हालिया सुस्ती के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था की संभावनाएं बेहतर होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि उपभोक्ता और कारोबारी विश्वास उच्च बना हुआ है जिससे अर्थव्यवस्था को रफ्तार मिलेगी। मल्होत्रा ने आरबीआई की वित्तीय स्थायित्व रिपोर्ट, दिसंबर 2024 की प्रस्तावना में यह बात कही है।

मल्होत्रा ने आज जारी रिपोर्ट में कहा है, ‘वैश्विक वृहद वित्तीय मोर्चे पर छाई अनिश्चितताओं के बावजूद 2024-25 की पहली छमाही में आर्थिक गतिविधियों की रफ्तार सुस्त रहने के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था की संभावनाओं में सुधार होने की उम्मीद है।’ इस महीने की शुरुआत में आरबीआई गवर्नर के रूप में कार्यभार संभालने के बाद अर्थव्यवस्था पर मल्होत्रा की यह पहली टिप्पणी है।

चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई से सितंबर की अवधि) में जीडीपी वृद्धि दर घटकर 5.4 फीसदी रह गई जो बाजार की उम्मीद से काफी कम था।
मल्होत्रा ने कहा, ‘आगामी वर्ष के लिए उपभोक्ता एवं कारोबारी विश्वास उच्च बना हुआ है और निवेश परिदृश्य भी बेहतर है क्योंकि कंपनियां मजबूत बहीखाते एवं उच्च लाभप्रदता के साथ 2025 में कदम रखने जा रही हैं।’

रिपोर्ट में कहा गया है कि हालिया सुस्ती के बावजूद वृद्धि के ढांचागत वाहकों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। उसमें कहा गया है कि घरेलू वाहकों, मुख्य रूप से सार्वजनिक उपभोग एवं निवेश, सेवाओं का दमदार निर्यात और आसान वित्तीय स्थितियों में तेजी के कारण 2024-25 की तीसरी और चौथी तिमाही के दौरान वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर के पटरी पर आने की उम्मीद है। जहां तक गिरावट के जोखिमों का सवाल है तो उसमें विशेष रूप से विनिर्माण क्षेत्र की औद्योगिक गतिविधियों में नरमी, शहरी मांग में गिरावट, वैश्विक चुनौतियां और व्यापार संरक्षण एवं औद्योगिक नीति जैसे कारक शामिल हैं।

रिपोर्ट में मुद्रास्फीति के बारे में कहा गया है कि खाद्य कीमतों में नरमी और बेस इफेक्ट के कारण नवंबर में समग्र मुद्रास्फीति को 5.5 फीसदी तक सीमित करने में मदद मिली। मगर मुख्य मुद्रास्फीति मई 2024 के बाद 64 आधार अंकों की बढ़त के साथ नवंबर में 3.7 फीसदी हो गई। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘आगे बंपर खरीफ और रबी फसल की संभावनाओं के कारण खाद्यान्न की कीमतों में नरमी आने की उम्मीद है।’ चरम मौसम स्थितियां बढ़ने से मुद्रास्फीति का जोखिम बढ़ जाता है।

मल्होत्रा ने कहा कि रिजर्व बैंक वित्तीय संस्थानों की स्थिरता को बरकरार रखने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। आरबीआई की नजर भारतीय अर्थव्यवस्था को उच्च वृद्धि की राह पर अग्रसर करने के लिए वित्तीय स्थायित्व को बनाए रखते हुए प्रणालीगत स्थिरता को बनाए रखने पर है। भारतीय वित्तीय क्षेत्र के बारे में उन्होंने कहा कि वित्तीय प्रणाली को दमदार आय, कम डूबती परिसंपत्तियों और पर्याप्त पूंजी भंडार से बल मिल रहा है।

First Published : December 30, 2024 | 11:09 PM IST