भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2024-25 में लगातार चौथे साल 7 फीसदी से अधिक वृद्धि दर्ज कर सकती है, जो 2023-24 में लगातार तीसरे साल 7 फीसदी के वृद्धि का आंकड़ा पार करने वाली है।
बुधवार को सेबी-एनआईएसएम रिसर्च कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए उन्होंने आर्थिक घटकों के परस्पर जुड़ाव पर जोर दिया और कहा कि स्वाभाविक आर्थिक वृद्धि पूंजी सृजन जैसे आंतरिक गतिविधियों, वित्तीय प्रोत्साहन या बाहरी मांग पर निर्भर होती है, जिसकी वजह से अर्थव्यवस्था सुस्ती से बाहर निकल सकती है। उन्होंने कहा, ‘अर्थव्यवस्था आपसी निर्भरता की व्यवस्था है।
यही वजह है कि जब कोई अर्थव्यवस्था खराब स्थिति में पहुंचती है तो इससे निकलने के लिए बाहरी सहयोग की जरूरत होती है, जो सामान्यतया राजकोषीय प्रोत्साहन के रूप में सामने आता है।
राजकोषीय प्राधिकरण, कर लगाने की उनकी क्षमता को देखते हुए, या मौद्रिक प्राधिकरण, नोट छापने की उनकी क्षमता को देखते हुए या बाहरी मांग ऐसे कारक हैं जो आवश्यक रूप से इस बंद-लूप प्रणाली के अंतर्गत नहीं आते हैं।
इन्हें बाहरी कारक माना जाता है, जिनका इस्तेमाल होने पर अर्थव्यवस्था को गति मिलती है और वह गिरावट के दायरे से ऊपर आती है।’
उन्होंने कहा, ‘अन्यथा, पूंजी सृजन और आर्थिक वृद्धि स्वाभाविक रूप से एक दूसरे से जुड़े हैं। इस मामले में हमारे लिए खुशी की बात है कि हमारी अर्थव्यवस्था लगातार तीसरे साल 7 फीसदी से ऊपर वृद्धि दर दर्ज करने जा रही है। और कुछ सौभाग्य और तार्किक परिकल्पनाओं के मुताबिक वित्त वर्ष 25 में भी यह वृद्धि दर बरकरार रह सकती है।’
सीईए ने आगे कहा कि भारत के सतत पूंजी निर्माण और सतत आर्थिक विकास की राह में सबसे बड़ा जोखिम अल्पावधि का है। उन्होंने कहा कि सामान्यतया एक निश्चित गतिविधि को बरकरार रखना या प्रदर्शन को लंबे समय तक बनाए रखना दुर्लभ होता है। यह अपवाद रहा है।