भारत में ई-कॉमर्स निकट भविष्य में तेजी से बढ़ने को है। शुक्रवार को आयोजित एक कार्यक्रम में विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) में महानिदेशक (डीजी) संतोष कुमार सारंगी ने कहा कि भारत अगले अगले 6 से 7 साल में भारत का ई-कॉमर्स निर्यात बढ़कर 200 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है, जो अभी करीब 1.2 अरब डॉलर है।
उद्योग संगठन फेडरेशन आफ इंडियन कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री (फिक्की) की ओर से आयोजित ‘ई-कॉमर्स एक्सपोर्ट कॉन्फ्रेंस’को संबोधित करते हुए उन्होंने जोर दिया कि भारत के ई-कॉमर्स निर्यात क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं, जिसे उत्पादों की भारी विविधता, उत्पाद के नवोन्मेष और भारत के उद्यमियों की विशेष बाजार की मांग पूरी करने की क्षमता और जरूरत के मुताबिक उत्पाद तैयार करने की क्षमता से बल मिलेगा।
सारंगी ने कहा, ‘इस समय भारत ई-कॉमर्स क्षेत्र में जितना निर्यात करता है, चीन के निर्यात की तुलना में बहुत छोटा हिस्सा है। अगले 6-7 साल में हम करीब 200 अरब डॉलर का ई-कॉमर्स निर्यात करने में सक्षम होंगे। उसके लिए हमें वस्तुओं की आवाजाही को दुरुस्त करने के लिए भारत में बहुत बदलाव करना होगा। इसमें नीति बनाने , रिजर्व बैंक के नजरिये की जरूरत होगी। कुल मिलाकर हमें बहुत बदलाव करने हैं।’
सारंगी ने यह भी आश्वस्त किया कि भारत का ई-कॉमर्स निर्यात क्षेत्र बहुत तेजी से बढ़ रहा है और यह आने वाले दिनो में 2 लाख करोड़ रुपये के वस्तुओं व सेवाओं के निर्यात के लक्ष्य में अहम भूमिका निभाएगा। डीजीएफटी ने अन्य नियामक एजेंसियों के साथ मिलकर कई कदम उठाए हैं और कई पहल की गई है, जिससे ई-कॉमर्स निर्यात आसान हो सके। इसमें लॉजिस्टिक्स, ई-कॉमर्स सेवा प्लेटफॉर्म प्रदाता, अंतरराष्ट्रीय भुगतान व्यवस्था, नियामक एजेंसियां जैसे भारतीय रिजर्व बैंक, राजस्व विभाग, डीजीएफटी आदि शामिल हैं।
सारंगी ने कहा, ‘हालांकि निर्यात के इस स्तर को हासिल करने के लिए नियामक एजेंसियों की सोच में भी बदलाव की जरूरत होगी, जो अभी भी पुराने बी2बी मॉडल पर चल रही हैं। समय बदलने के साथ हम यह भी उम्मीद करते हैं भारत का वित्तीय क्षेत्र नए भुगतान सॉल्यूशंस उपलब्ध कराने में अहम भूमिका निभाएगा और सस्ती भुगतान सेवाएं लाएगा।’
उन्होंने ई-कॉमर्स को लेकर निर्यातकों में जागरूकता बढ़ाने और उन्हें शिक्षित करने पर जोर दिया, जिसमें साफ सुथरा व नैतिक तरीका अपनाना अहम भूमिका निभाता है।