अर्थव्यवस्था

DPIIT ने सार्वजनिक खरीद में लोकल कंटेंट की सीमा बढ़ाने का रखा प्रस्ताव, मैन्युफैक्चरिंग को मिलेगा बढ़ावा

GeM के CEO पीके सिंह ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘यह मेक इन इंडिया के लिहाज से अच्छा है। जैसे ही अधिसूचना जारी होती है, हम इसे अमल में ले आएंगे।’

Published by
असित रंजन मिश्र   
ध्रुवाक्ष साहा   
Last Updated- May 13, 2024 | 6:50 AM IST

Public Procurement: उद्योग विभाग ने श्रेणी 1 और श्रेणी 2 में आने वाले आपूर्तिकर्ताओं से सार्वजनिक क्षेत्र को मिलने वाले सामान में स्थानीय सामग्री (local content) की न्यूनतम आवश्यकता बढ़ाने का प्रस्ताव किया है। इसके तहत श्रेणी 1 के आपूर्तिकर्ताओं (Class I suppliers) को कम से कम 70 फीसदी सामग्री स्थानीय स्तर पर ही खरीदनी होगी। अभी यह सीमा 50 फीसदी है। इसी तरह श्रेणी 2 के आपूर्तिकर्ताओं (Class II suppliers) को माल में मौजूदा 20 फीसदी के बजाय 50 फीसदी सामग्री स्थानीय स्तर पर ही खरीदनी होगी।

सरकार के एक वरिष्ठ अ​धिकारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि रक्षा उत्पादन, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी, दूरसंचार, खनन, रेलवे, बिजली, बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग को बढ़ी हुई अनिवार्य सीमा के दायरे से बाहर रखने का भी प्रस्ताव है।

अ​धिकारी ने कहा, ‘इस प्रस्ताव पर मंत्रालयों के बीच बातचीत चल रही है। विभागों और मंत्रालयों को अपनी प्रतिक्रिया उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (DPIIT) के पास भेजने के लिए कहा गया है। इस प्रस्ताव को मंत्रिमंडल से मंजूरी लेनी होगी और माना जा रहा है कि नई सरकार बनने के बाद ही इसे मंत्रिमंडल के पास भेजा जाएगा।’

इस बारे में जानकारी के लिए DPIIT को ईमेल भेजा गया लेकिन खबर लिखे जाने तक जवाब नहीं आया।

फिलहाल स्थानीय आपूर्तिकर्ता की श्रेणी 1 में वे व्यक्ति रखे जाते हैं, जिनके सामान, सेवा या कार्यों (goods, services, or works) में कम से कम 50 फीसदी सामग्री स्थानीय ही होती है। सरकारी खरीद में इस श्रेणी के आपूर्तिकर्ताओं को सबसे ज्यादा तवज्जो दी जाती है। श्रेणी 2 के स्थानीय आपूर्तिकर्ता वे होते हैं, जिनके उत्पाद, सेवाओं, कार्यों में 20 फीसदी से लेकर 49 फीसदी तक स्थानीय सामग्री होती है।

गैर-स्थानीय आपूर्तिकता (non-local supplier) वे होते हैं, जिनके उत्पाद, सेवाओं या कार्यों में स्थानीय सामग्री की मात्रा 20 फीसदी से भी कम होती है। सरकारी खरीद के ऑर्डर में सबसे कम तरजीह इन्हीं को दी जाती हैं। इनसे जरूरत का वही सामान खरीदा जाता है, जो श्रेणी 1 या 2 के आपूर्तिकर्ताओं के पास नहीं मिल रहा हो।

सरकारी ई-मार्केटप्लेस (GeM) के मुख्य कार्या​धिकारी पीके सिंह ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘यह मेक इन इंडिया के लिहाज से अच्छा है। जैसे ही अधिसूचना जारी होती है, हम इसे अमल में ले आएंगे।’

पूर्व उद्योग सचिव अजय दुआ ने कहा कि स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा देने और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में विनिर्माण क्षेत्र का योगदान बढ़ाने के लिए समय के साथ न्यूनतम सीमा बढ़ानी होगी। उन्होंने कहा, ‘ऐसे जरूरी क्षेत्रों को इससे परे रखना अच्छा विचार है, जिनमें माल का आयात होने से अर्थव्यवस्था को बहुत फायदा मिलता है। अगर सभी क्षेत्रों में स्थानीयकरण की सीमा बढ़ाने पर जोर दिया गया तो देश को नुकसान हो सकता है।’

सरकारी खरीद के मौजूदा नियमों के तहत भी वा​णिज्य और उद्योग मंत्रालय क्षेत्रों को खास मामलों में छूट देता है, जो हर क्षेत्र के लिए अलग होते हैं। पिछले साल रेलवे को 5 वॉट के वॉकी-टॉकी के लिए सरकारी खरीद से छूट दी गई क्योंकि स्थानीय कंपनियों के वॉकी-टॉकी रेलवे के परिचालन के लिए असुरक्षित पाए गए।

पिछले साल दिसंबर में केंद्र सरकार ने वि​भिन्न मंत्रालयों और उनकी खरीद एजेंसियों की ​खिंचाई की थी क्योंकि सरकारी निविदाओं में देसी खरीद के नियमों का बार-बार उल्लंघन किया जा रहा था। इन निविदाओं में रखी गई शर्तें स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं के खिलाफ पाई गईं और कुछ शर्तों की वजह से तो वे शुरुआत में ही बोली की प्रक्रिया से बाहर हो रहे थे।

इस बीच बुनियादी ढांचा क्षेत्र (infrastructure) की कुछ विदेशी कंपनियों का कहना है कि बड़ी विदेशी कंपनियों के स्थानीयकरण की कसौटी पर खरा उतरने के बाद भी इन नियमों की वजह से कम अनुभव वाली स्थानीय कंपनियों आपूर्ति के मामले में कीमत कम रखने की जंग शुरू कर देती हैं।

रेल उपकरण बनाने वाली एक कंपनी के एक शीर्ष अ​धिकारी ने कहा, ‘कई मामलों में छोटी कंपनियां बिना कुछ जाने-बूझे या जानकारी लिए बगैर ही वैश्विक कंपनियों से तकनीक हस्तांतरण का समझौता कर लेती हैं। इससे हमारे कारोबार पर असर पड़ेगा क्योंकि कीमत कम होने पर दिक्कत होगी।’

First Published : May 13, 2024 | 6:37 AM IST